महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी का स्थापना दिवस मनाया गया

Delhi: महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी ने नवरात्र पर्व व महाराजा अग्रसेन जयंती के पावन अवसर पर वैदिक हवन मन्त्रों के साथ अपना स्थापना दिवस मनाया।
संस्थान के संस्थापक डॉ. नंद किशोर गर्ग ने बताया की 1999 में महाराजा अग्रसेन जयंती के अवसर पर महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की गई थी। जिसका उद्देश्य समाज के ऐसे इलाके जहाँ निर्धन वर्ग में शिक्षा का बहुत अभाव था और आस पास उच्च शिक्षण संस्थान भी नहीं था, अपने कुछ अग्रबन्धुओं के साथ मिलकर सुल्तानपुरी में चार कमरों में महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की और साथ ही एक विद्यालय गीता विद्यालय की भी स्थापना की।

महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी व महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट स्टडीज संस्थान आज दिल्ली ही नहीं अपितु देश–विदेश मे अपना विशेष स्थान बना चुके हैं। सोसाइटी के दिल्ली स्थित रोहिणी परिसर में ही लगभग सात हजार विद्यार्थी इंजीनियरिंग, मेंनेजमेंट, बैंकिंग शिक्षा, विधि स्नातक, पत्रकारिता, वाणिज्य स्नातक आदि की उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहें हैI सोसाइटी द्वारा संचालित हिमाचल प्रदेश स्थित महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय को वर्ष 2021-22 के लिए मेंटर आईआईसी संस्थान के रूप में चुना गया है।

महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय को पूरे भारत से शीर्ष पचास संस्थानों में मेंटर विश्वविद्यालय के रूप में चयनित किया गया है। आज इन संस्थानों से हजारों छात्र शिक्षा ग्रहण कर अपना व अपने परिवार का अपितु देश-विदेश में ख्याति प्राप्त कर अपना भविष्य उज्जवल बनाने मैं सफल हुए हैI इसका सारा श्रेय महाराजा अग्रसेन जी के महान आदर्शो को तथा अपने ट्रस्टी बंधुओं को देते हुए डॉ. गर्ग ने अग्रसेन जी के बारे में बताया की महाराजा अग्रसेन एक कर्मयोगी लोकनायक, समाजवाद के प्रणेता, युग पुरुष, तपस्वी, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी थे।

इनका जन्म द्वापर युग के अंत व कलयुग के प्रारंभ में क्षत्रिय समाज में हुआ था। वें भगवान श्री कृष्ण के समकालीन थे। महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया। महाराज अग्रसेन ने एक ओर हिन्दू धर्मग्रंथों में वैश्य वर्ण के लिए निर्देशित कर्मक्षेत्र को स्वीकार किया और दूसरी ओर देशकाल के परिप्रेक्ष्य में नए आदर्श स्थापित किए। उनके जीवन के मूल रूप से 3 आदर्श हैं- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, आर्थिक समरूपता एवं सामाजिक समानता। महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं।

कुल देवी लक्ष्मी जी के मतानुसार उन्होंने अग्रवाल समाज की उत्त्पत्ति की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्मदाता देव माने जाते हैं। इन्होने व्यापारियों के राज्य की स्थापना की थी। यह उत्तरी भाग में बसाया गया था, जिसका नाम अग्रोहा पड़ा था। अग्रवाल समाज के लिए अठारह गौत्र का जन्म इनके अठारह पुत्रो के द्वारा ऋषियों के सानिध्य अठारह यज्ञों द्वारा किया गया था। महाराजा अग्रसेन कर्मयोगी लोकनायक, समाजवाद के प्रणेता एवं महादानी थे। उन्होंने अपने राज्य में यह घोषणा कर रखी थी कि बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक ईट और एक रुपया दे ताकि वह व्यक्ति अपना घर बना सके और अच्छे ढंग से व्यापार कर सके।

सचिव राजकुमार मुरारका ने कहा कि इनका जन्म द्वापर युग के अंत और कलयुग के प्रारंभ में हुआ था। वे भगवान श्रीकृष्ण के समकालीन थे। नवरात्रि के प्रथम दिवस को अग्रसेन महाराज जयंती के रूप में मनाया जाता है। डॉ. गर्ग ने उपस्थित छात्रों व गणमान्य जनों को अपनी प्राचीन मान्यताओं से सीख भी लेने को कहा की शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गई है, अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रों मैं शक्ति की अराधना के महत्व को विशेष माना जाता है की नौ दिन मां दुर्गा की उपासना के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण और पावन होते हैं। इन दिनों मां के नौ स्वरूपों का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के दिन बहुत ही शुभ मानें जाते हैं इसलिए दौरान यदि घर में कुछ चीजें लाई जाएं तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

इस अवसर पर महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी के सफलता के 22 वर्ष पूर्ण होने पर महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी व मैनेजमैंट स्टडीज, हिमाचल प्रदेश स्थित महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जिन्होंने एलकेजी बच्चों से लेकर पीएचडी स्कॉलर्स तक शिक्षा प्रदान करने का सपना देखा है। यह उनकी दृष्टि है जो समाज के लिए नि: स्वार्थ कार्य करने के लिए परोपकारी लोगों को प्रेरित करती है और महाराजा अग्रसेन जी के आदर्शों व उनके दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास सदैव करती रहेगी। अपने उदार वित्तीय योगदान के लिए सभी ट्रस्टी सदस्यों, मनेजमेंट, शिक्षकों व स्टाफ़ का आभार व्यक्त किया।

जगदीश मित्तल, टी.आर. गर्ग, मोहन गर्ग, मेट्स के पदाधिकारी, प्रो. (डॉ.) एस.के. गर्ग, महानिदेशक मेम्स, प्रो. (डॉ.) जी.पी. गोविल, सलाहकार, मेट्स और प्रो. (डॉ.) रवि कुमार गुप्ता, निदेशक, मेम्स मेट की निदेशक प्रो. नीलम शर्मा, डॉ. एस.एस. देशवाल, विनीता गुप्ता और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद रहे।

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