तमलुक। कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) के जरिए भर्ती प्रक्रिया के जरिये की गई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने के इस अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘तत्काल इस्तीफे’ की मांग की।
गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने पूर्व में भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। गंगोपाध्याय ने जोर देकर कहा कि राज्य प्रशासन में, घोटाला करने वाले पूरे समूह को ‘फांसी दे देनी चाहिए’।
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने सोमवार को सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में आगे की जांच करने और तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे गंगोपाध्याय ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”असली अपराधी राज्य प्रशासन के शीर्ष पदों पर बैठे हैं और अपने सुरक्षा बुलबुले के पीछे छिपे हुए हैं, यदि उनमें साहस है और थोड़ी भी शर्म बची है, तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए, अपना सुरक्षा कवच तोड़ देना चाहिए और जांच का सामना करना चाहिए।”
गंगोपाध्याय ने पांच मार्च को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से इस्तीफा दे दिया था।
”मुख्यमंत्री ने योग्य उम्मीदवारों को वर्षों तक वंचित रखा और उन्हें अत्यधिक तनाव में छोड़ दिया। अगर मेरे पास उस तरह की शक्ति होती तो मैं खुद उन्हें उनकी कुर्सी से खींचकर हटा देता।”
गंगोपाध्याय ने हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों से बनर्जी का बहिष्कार करने का आह्वान किया क्योंकि घोटाले से दोनों समुदायों के उम्मीदवार प्रभावित हुए थे।इससे पहले, गंगोपाध्याय ने अनियमितताएं पाए जाने पर कई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियों को समाप्त करने का भी आदेश दिया था। हालांकि, गांगोपाध्याय ने सोमवार के फैसले को अपनी व्यक्तिगत विजय मानने से इनकार कर दिया।
पूर्व न्यायविद ने माना कि न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठकर इस मामले में आदेश पारित करते समय वह ‘अधिक उदार’ थे। उन्होंने कहा, ”मुझे खुशी है कि खंडपीठ ने इस मामले में उचित सख्ती के साथ फैसला सुनाया है।”
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