Ram Mandir

दुनियां भर में पहली बार अभूतपूर्व ऐतिहासिक राम नाम की गूंज- आध्यात्मिक आस्था बढ़ी

वैश्विक स्तर पर दुनियां के अधिकतम देश राम नाम के घोष से सराबोर हुए – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पिछले 500 वर्षों से शायद ही ऐसा कभी कोई पल आया होगा जिसका आज भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां के करीब करीब हर देश में ऐसा अलौकिक उत्साह का माहौल प्रतीत हुआ है। आज भारत का शायद ही कोई नगर शहर ऐसा होगा जहां राम नाम का नगाड़ा ना बजा हो, प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से सराबोर होकर चारों तरफ श्री राम जय राम जय जय राम की भाव भक्ति से आराधना की जा रही है। बता दें ध्यान 20 और 21 जनवरी 2024 को दर्शन के लिए मंदिर परिसर में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 22 जनवरी से यह सब खुल जाएंगे। मैंने अपनी चावल नगरी गोंदिया में एक ग्राउंड रिपोर्टिंग कर 85 प्लस बुजुर्गों से बात की तो उन्होंने बताया हमने इन 85 वर्षों में कभी भी ऐसा माहौल नहीं देखा मेरा मानना है की पूरी दुनियां में ऐसा कोई भी क्षण नहीं आया होगा जितना उत्साह आज दुनियां में अधिकतम देशों में दिख रहा है। हर देश में मूल भारतीयों द्वारा जश्न मनाया जा रहा है। हमारी छोटी सी राइससिटी गोंदिया नगरी में भी पूरा नगर राम नाम के गूंज से सराबोर हो उठा है। चारों तरफ राम नाम के बैनर, झंडा, फूलों से हर गली चौराहे पर प्रभु श्री राम के स्वागत में गेट रंग-बिरंगे पोस्टर से लबालब दिख रहा है और प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से हर देशवासी का सीना गर्व से ऊंचा हो गया है, चूंकि पूरे देश में श्री राम जय राम जय जय राम की गूंज हो रही है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक स्तर पर दुनियां में अधिकतम देश राम नाम की गूंज से सराबोर हुए।

साथियों बात अगर हम प्राण प्रतिष्ठा पर हर देशवासी के गौरवान्वित होने की करें तो, अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हर नागरिक गौरवान्वित है। इसके लिए कई साधु-संतों ने वर्षों से मौन व्रत रखकर तपस्या की तो कइयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। मंदिर निर्माण और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा पर कोई अपना मौन व्रत खोलेगा तो कोई प्रभु श्रीराम का जयघोष करेगा। धर्म गुरु बोले कि यह दिन भारत और दुनिया भर के लिए ऐतिहासिक है। पूरा देश राममय हो गया है। भगवान श्रीराम हर व्यक्ति के प्रेरणा स्रोत हैं। श्री राम भारत के प्रभात का प्रथम स्वर हैं। देश की उच्चता व दिव्यता देखनी हो तो प्रभु श्री राम में वह दृष्टिगोचर होती है। भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है। इस दिन के लिए संतों और आम जनमानस ने अपने प्राणों की आहुति दी है। देश में स्वर्णिम इतिहास लिखा जा रहा है। यह दिन महादीपावली का है। हिंदू समाज खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

साथियों बात अगर हम अयोध्या सहित पूरा देश राम नाम राम में सराबोर होने की करें तो भगवान राम के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा हैं, लेकिन अयोध्या समेत पूरा देश राममय है। यूपी ही नहीं दूसरे प्रांतों से आने वाले लोगों के परिधान भी राममय हो गया है। स्थिति यह है कि हर शहर में प्राण प्रतिष्ठा आस्था और संस्कृति के प्रतीक बन गया है। राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की गूंज अयोध्या में भव्य रूप से हो रही है वहीं दूसरे शहरों के मंदिरों में भी पूजा अर्चना का दौर शुरू हो गया है। बाजार भी लोगों के उत्साह और उल्लास को कैश करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। बाजार में रामनामी वस्त्रों की भरमार है। श्री राम लिखे कुर्ते-गमछे से लेकर राम मंदिर प्रिंट वाली साड़ियों की जमकर बिक्री हो रही है। लोग 22 जनवरी को होने वाले आयोजनों में पहनने के लिए इन रामनामी वस्त्रों को खरीद रहे हैं।अयोध्या में भव्य राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को आस्था में सराबोर लोग दिवाली से बड़ी दीपावली मनाई जा रही है। यूपी का माहौल कुछ इस तरह है कि हर गली और नुक्कड़ राममय हो चुका है। घरों मोहल्लों और आसपास के मंदिरों को सजाने के साथ ही परिवार भर के लिए नए कपड़े खरीदे जा रहे हैं। पुरुष और महिलाएं सभी उल्लास के साथ रामलला के स्वागत कार्यक्रमों की तैयारियों में जुटे हैं।

पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बहुत खुशी और उमंग हैं। उनकी खास डिमांड पर बाजार में रामनामी सिल्क की साड़ियां भी आ गईं हैं। इस पर राम मंदिर की आकृति उकेरी गई है। वहीं पुरुष भी भगवा रंग के पोशाक में दिखने को तैयार हैं।उधर जानकी की जन्मस्थली सीतामगढ़ी में भी धूम मची हुई है। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन जानकी जन्मस्थली सीतामढ़ी में भी रामोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिले के मठ मंदिरों, नदी तट, सीताकुण्ड में महाआरती, अलौकिक दीपावली व धार्मिक स्थलों को सजाने की तैयारी चल रही है। धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर विशेष साफ-सफाई की जा रही है। पुनौराधाम, जानकी स्थान, हलेश्वर स्थान, पंथपाखर आदि तीर्थ क्षेत्रों में उत्सव की तैयारी है। नगर निगम ने भी सात दिवसीय स्वच्छ तीर्थ कैंपेन चला कर धर्म स्थलों के आसपास साफ-सफाई करवा रहा है। श्री जानकी प्राकट्य स्थली तीर्थ क्षेत्र के बैनर तले होनेवाले कार्यक्रम में शहर की साफ-सफाई के बाद रंग अबीर से रंगोली व मार्गों की सजावट की जाएगी। जानकी स्थान के उर्विजा कुण्ड को फूलों से सजाया जाएगा। पूरे शहर को सजाने की योजना है। शहर की साफ-सफाई व सजाने के साथ प्रवचन व संगीत के लिए साउंड व अयोध्या से सीधा प्रसारण के लिए जगह-जगह बड़ी स्क्रीन लगाई है।

शहर में रामोत्सव को आयोजन होगा। पूजा-अर्चना के साथ उस दिन अलौकिक दीपावली मनायी जाएगी। भजन-कीर्तन का भी आयोजन होगा। पुनौराधाम में प्रभु की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन सीता कुंड पर महाआरती होगी। पूरे तीर्थ क्षेत्र को 51 हजार दीपों से सजाकर दीपोत्सव मनाया जाएगा। महंत कौशल किशोर दास के नेतृत्व में कार्यक्रम की तैयारी जोरों पर चल रही है। श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण से हर जगह खुशी का माहौल है। 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित समारोह को देखने के लिए सभी धर्म स्थलों व सार्वजनिक स्थलों पर बड़ी स्क्रीन लगायी है। इसके लिए रजत द्वार जानकी मंदिर, पुनौराधाम, महावीर स्थान व देवी मंदिरों में जगह चिह्नित की गई है। जिले के लोगों को रामजन्म भूमि के विकास के बाद जानकी जन्म स्थली के विकास की आस जगी है। लोग कहते हैं बिन सिया बिन राम भी अधूरे हैं। अयोध्या से मिथिला के लिए आनंद विहार दरभंगा वाया अयोध्या वसीतामढ़ी ट्रेन के उद्घाटन के मौके पर जिस तरह प्रधानमंत्री सीतामढ़ी के साधु-संतों से रू-ब-रू हुए थे।

साथियों बात अगर हम 5 अगस्त 2020 को प्रभु श्री राम मंदिर के भूमि की पूजन के अवसर पर माननीय पीएम के संबोधन की आज के परिपेक्ष में हकीकत को देखें तो उन्होंने उस समय कहा था, राम काजु कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम।
भारत आज भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीरभवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्ष्यद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।

जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाया गया, वैसे ही घर-घर से, गांव-गांव से श्रद्धापूर्वक पूजी शिलाएं, यहां ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं। देश भर के धामों और मंदिरों से लाई गई मिट्टी और नदियों का जल, वहां के लोगों, वहां की संस्कृति और वहां की भावनाएं, आज यहां की शक्ति बन गई हैं। वाकई, ये न भूतो न भविष्यति है। भारत की आस्था, भारत के लोगों की सामूहिकता की ये अमोघ शक्ति, पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है, शोध का विषय है। दीन दयाल बिरिदु संभारी’। यानि जो दीन है, जो दुखी हैं, उनकी बिगड़ी बनाने वाले श्रीराम हैं। जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं! हजारों साल पहले वाल्मीकि की रामायण में जो राम प्राचीन भारत का पथ प्रदर्शन कर रहे थे, जो राम मध्ययुग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम आज़ादी की लड़ाई के समय बापू के भजनों में अहिंसा और सत्याग्रह की शक्ति बनकर मौजूद थे!

तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं! हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं! श्रीराम की शिक्षा है- नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो। श्रीराम का सामाजिक संदेश है- प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों। श्रीराम का निर्देश है- कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। श्रीराम का आदेश है कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए। श्रीराम का आह्वान है- जौंसभीत आवासरनाई रखिहं उताहिप्रानकीनाई॥ जो शरण में आए ,उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। श्रीराम का सूत्र है- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। और भाइयों और बहनों, ये भी श्रीराम की ही नीति है- भयबिनुहोइन प्रीति॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि श्री राम जय राम जय जय राम। दुनियां भर में पहली बार अभूतपूर्व ऐतिहासिक राम नाम की गूंज- आध्यात्मिक आस्था बढ़ी। वैश्विक स्तर पर दुनियां के अधिकतम देश राम नाम के घोष से सराबोर हुए।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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