बिहार में बाढ के पानी ने अब श्मशान घाटों पर भी बढ़ाई लोगों की मुश्किलें

मुजफ्फरपुर। बिहार में बाढ़ के पानी ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। लोग अपने प्रियजनों की मौत के बाद भी लोग शव का अंतिम संस्कार सुकून के साथ नहीं कर पा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित मुजफ्फरपुर जिले के शहर और कई ग्रामीण क्षेत्रों में श्मसान घाट भी बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, जिससे अंतिम संस्कार में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मुजफ्फरपुर में बूढी गंडक और गंडक नदी के जलस्तर बढ़ने से कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। नदी का जलस्तर बढ़ने से जिले के शहरी क्षेत्र में स्थित श्मसान घाट पर भी मुश्किलें बढ़ गई है। पहले यहां अंतिम संस्कार करने का सारा सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता था। नदियों के जलस्तर बढ़ने के कारण अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों और अन्य सामानों की दुकानें भी जलमग्न है।

मुसहरी के सिकंदरपुर घाट मुक्ति धाम पूरी तरह जलमग्न है। नदी किनारे रखें लकड़ी के दुकानों में भी पानी भर गया है जिससे यहां अंतिम संस्कार के लिए आने वालों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पर रहा है।

स्थानीय लकड़ी के दुकानदार सोहन सहनी ने बताया, “पहले बड़ी मात्रा में लकड़ी स्टॉक रख लेते थे और यहां जो अंतिम संस्कार के लिए आते थे वे खरीद लेते थे। हल्की बारिश में लकडियों को ढंक कर भी रखते थे, लेकिन अब क्या करें, पूरे क्षेत्र में बाढ का पानी भर गया है। ऐसे में लकड़ी के ढंक कर रखने का भी फायदा नही है।”

उन्होंने बताया कि भींगा हुआ लकडी लोग लेना नही चाहते हैं, उन्हें जलाने में कठिनाई होती है। दूसरी ओर अंतिम संस्कार में जरूरी अन्य सामानों के दुकानदार रोहित बताते है कि दुकान के अंदर बाढ़ का पानी घुस गया है। दुकान में चौकी, मेज और ईंट रखकर सामान रखे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार करने आने वाले लोगों को किसी तरह सामान उपलब्ध करा देते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी परेशानी जो शव के अंतिम संस्कार की है। उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि नदी में कहीं और पानी बढ़ा तो परेशानी और बढ़ सकती है।

मुजफ्फरपुर नगर निगम के मेयर सुरेश कुमार ने भी मुक्तिधाम श्मसान घाट का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है, जिससे थोड़ी मुश्किलें बढ़ गई है।

उन्होंने कहा, “मुक्तिधाम के प्रभारी को उंचे स्थानों पर अंतिम संस्कार करवाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे अंतिम संस्कार करने आने वाले लोगों को परेशानी कम हो। बाढ़ किसी के वश में नहीं है, जिसे रोका जाए।”

इधर अहियापुर के संगम घाट के अलावे चंदवार घाट, रेवाघाट श्मसानस्थल भी पानी में डूब गया है। इस बीच बाढ प्रभावित पूर्वी चंपारण के सदर प्रखंड के बरनवा घाट श्मसानस्थल भी बाढ के पानी में डूब गया है। गांव के लोग अब उंचे स्थान, खेत में ही शव के अंतिम संस्कार करने को विवश हैं।

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