कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दो जिलों में कृषि भूमि पर हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन लगाने को लेकर किसानों का विद्रोह सुलगता नजर आ रहा है। बांकुरा जिले के मेजिया ब्लॉक में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के मेजिया थर्मल पावर प्लांट से सटे गांवों के किसानों ने खेतों के ऊपर से ओवरहेड हाई-टेंशन बिजली लाइन ले जाने के डीवी के फैसले को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का तर्क है कि वे काफी समय से क्षेत्र में कृषि उत्पादन में बाधा उत्पन्न करने वाले बिजली संयंत्र से निकलने वाले राख की शिकायत कर रहे हैं। अब संयंत्र के अधिकारियों द्वारा गांव में खेत के ऊपर से हाई-टेंशन बिजली की लाइनें लगाने का निर्णय, खेती को और प्रभावित करेगा।
करमाकरपारा गांव के निवासियों ने पिछले कुछ दिनों से इलाके में सड़कों को अवरुद्ध कर आंदोलन शुरू कर दिया है। उनकी मांग है कि गांव के ऊपर इन हाई टेंशन तारों को लगाने का काम रोका जाना जाए। आंदोलन के नेता जीबन कर्माकर ने कहा कि मेजिया पावर प्लांट के अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद तार लगाने का काम जारी है। उन्होंने कहा, इसलिए हमने अपनी मांग पूरी होने तक आंदोलन करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, गांवों पर हाई-टेंशन लाइन न केवल कृषि उपज को प्रभावित करेगी, बल्कि ग्रामीणों के जीवन के लिए भी खतरनाक होगी। संयंत्र के अधिकारियों को इस बारे में पता है, लेकिन उन्होंने हमारी आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया है। स्थानीय ग्राम पंचायत के उप प्रमुख निमाई मांझी ने कहा कि वह इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों की शिकायतों से अवगत हैं और एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए जिला अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
इस बीच, झारखंड के गोड्डा जिले से फैली एक परियोजना के हिस्से के रूप में मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का क्षेत्र में फल किसानों ने अदाणी समूह के स्वामित्व वाले बिजली संयंत्र द्वारा बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति के लिए क्षेत्र में कृषि भूमि पर हाई-टेंशन बिजली लाइनों के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन जारी रखा है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) और फरक्का क्षेत्र के 30 फल किसानों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ में इसके खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की है।
खंडपीठ ने मामले में फास्ट-ट्रैक आधार पर सुनवाई की याचिका को खारिज करते हुए याचिका को स्वीकार कर लिया है।एपीडीआर के महासचिव रंजीत सूर के अनुसार, क्षेत्र में आंदोलनकारी फल-किसानों के खिलाफ पुलिस अत्याचार जारी है। उन्होंने कहा, पुलिस द्वारा फल-किसानों के विरोध प्रदर्शनों और रैलियों को आयोजित करने के लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। आंदोलनकारियों को गिरफ्तारी की धमकी दी जा रही है।