बंगाल भाजपा में पलायन जारी, सब्यसाची दत्ता तृणमूल में हुए शामिल

कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्य सचिव और विधाननगर नगर पालिका के पूर्व मेयर सब्यसाची दत्ता (Sabyasachi Dutta) सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) में लौट आए। दत्ता ने भगवा खेमे के लिए पार्टी छोडऩे के दो साल बाद ‘घर-वापसी’ की है। दत्ता ने राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी से विधानसभा के उनके कक्ष में पार्टी का झंडा लिया, जो कि सेंट्रल हॉल से कुछ ही गज की दूरी पर स्थित है, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ ही मिनट पहले विधायक के रूप में शपथ ली थी। इस मौके पर राज्य के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम भी मौजूद थे।

समारोह के बाद मीडिया से बात करते हुए, दत्ता ने कहा, ‘मैं विधाननगर नगर निगम के मेयर के रूप में सेवा करने के अलावा 2011 से 2021 तक विधायक था और यह सब ममता बनर्जी के कारण ही संभव हो सका। मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि मैंने किसी गलतफहमी के कारण पार्टी छोड़ी थी। मैं वापस आना चाहता था और उन्होंने (बनर्जी) मुझे स्वीकार कर लिया है। मैं उसी तरह काम करूंगा जैसा पार्टी चाहती है कि मैं काम करूं।’ दत्ता ने अक्टूबर 2019 में भाजपा (BJP) में प्रवेश किया था और वह इस साल की शुरुआत में विधाननगर से विधानसभा चुनाव लड़े थे, मगर तृणमूल के सुजीत बोस से हार गए थे। उन्होंने भगवा खेमे से संबंध तोडऩे के पर्याप्त संकेत दिए थे।

बुधवार को लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) की घटना पर मीडिया से बात करते हुए, दत्ता ने कहा था, ‘मैंने इस घटना को टेलीविजन पर देखा है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वाहन किसका है… यह एक दुखद घटना है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को फांसी दी जानी चाहिए।’ योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) द्वारा लगाए जा रहे सीआरपीसी की धारा 144 पर उन्होंने कहा था, ‘यह किसी भी आंदोलन को कुचलने का तरीका नहीं हो सकता है। यह एक लोकतांत्रिक देश है। हम तालिबान सरकार के अधीन नहीं रह रहे हैं।’ इस टिप्पणी ने उन अटकलों को और हवा दे दी थी कि भाजपा में दत्ता के दिन गिने-चुने ही हैं।

अटकलें और भी ठोस थीं, क्योंकि राजनीतिक हलकों में पहले से ही अफवाहें थीं कि दत्ता तृणमूल नेतृत्व के संपर्क में हैं और उनकी पिछली पार्टी में लौटने में कुछ ही समय बाकी है। हालांकि, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की राय थी कि स्थानीय नेतृत्व के कड़े प्रतिरोध के कारण दत्ता का पार्टी में प्रवेश आसान नहीं होगा।

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