चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को नवनिर्वाचित सांसदों की सूची सौंपी- आचार संहिता हटाई- नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू

राष्ट्रपति ने स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग, सुरक्षा कर्मियों व चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले करोड़ों मतदाताओं की सराहना की
18वीं लोकसभा का कार्यकाल 17 जून से शुरू होने के पहले नई सरकार का गठन करने को रेखांकित करना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया की नजरें भारत में संपन्न हुए सबसे बड़े चुनावी महापर्व पर लगी हुई थी जिससे सभी को उम्मीद थी कि सत्ताधारी दल वापसी करेगा, क्योंकि 17वीं लोकसभा के मंत्रिमंडल के नेतृत्व से पूरी दुनियां के अनेकों रणनीतिक साझेदारी कार्यक्रम अनुबंधित थे और देशवासियों को भी उनसे काफी उम्मीदें हैं, परंतु परिणाम में ऐसा देखा गया कि कहीं ना कहीं कुछ छूट गया है जिससे सत्ताधारी दल को अपने दम पर बहुमत नहीं आई, परंतु इनके एनडीए गठबंधन को जरूर पूर्ण बहुमत आई है, इसलिए एनडीए की सरकार बनना तय है, जिसकी प्रक्रिया शुरू है। 5 जून को एनडीए ने अपना नेता चुना व 7 जून 2024 को एनडीए सांसदों ने अपना नेता चुना। अब माननीय राष्ट्रपति के पास सरकार बनाने के लिए अपना दावा प्रस्तुत किया जाएगा। इस बीच दिनांक 6 जून 2024 को देर शाम मुख्य चुनाव आयुक्त अपने दो आयुक्तों के साथ माननीय राष्ट्रपति को 18वीं लोकसभा के लिए संपन्न कराए गए चुनाव में चुने गए सांसदों की सूची व आचार संहिता हटने की घोषणा की अधिसूचना सौंपी, अब माननीय राष्ट्रपति महोदया नें सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, अर्थात कुल मिलाकर निष्कर्ष निकाले तो भारतीय चुनाव आयोग ने इतने बड़े लोकतंत्र के चुनाव में इतिहास रच दिया है। जिसकी तारीफ व सराहना माननीय राष्ट्रपति द्वारा की गई है।

जबकि बता दें कि अभी-अभी दक्षिण अफ्रीका में हुए चुनाव में वहां किसी को बहुमत नहीं आया है, एक तरह से हंग नतीजे में गहमा गहमी चल रही है, जिसमें नेल्सन मंडेला की सबसे बड़ी पार्टी को 400 में से 159 सीटें मिली है अब सरकार बनने की कवायत शुरू है, परंतु भारत में उम्मीद है कि 9 जून 2024 को प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा क्योंकि चुनाव आयोग ने माननीय राष्ट्रपति को नवनिर्वाचित सदस्यों की लिस्ट सौप दी है, आचार संहिता हटा दी है, अब नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसलिए आज हम मीडिया पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, 18वीं लोकसभा का कार्यकाल 17 जून से शुरू होने के पहले नई सरकार का गठन करने को रेखांकित करना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा माननीय राष्ट्रपति को 6 जून 2024 को शाम 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की सूची सौंपने की करें तो, मुख्य चुनाव आयुक्त नें गुरुवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने 18वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नव निर्वाचित सदस्यों की सूची राष्ट्रपति को सौंपी। अब राष्ट्रपति नई सरकार के गठन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू करेंगी। राष्ट्रपति मुर्मु ने चुनावी प्रक्रिया की सफलता पर मुख्य चुनाव आयुक्त को बधाई दी। उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के प्रयासों की भी प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने बड़ी संख्या में चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले लाखों मतदाताओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह हमारे संविधान और भारत की गहरी और अटल लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप है। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा, गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने पीएम के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की सलाह पर बुधवार को 17वीं लोकसभा भंग कर दी थी। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है और उससे पहले नई सरकार का गठन करना होगा।

भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने हाल ही में संपन्न आम चुनावों में बहुमत हासिल किया है। जहां राजग 543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सीटें जीतकर 272 के बहुमत के आंकड़े से ऊपर है, वहीं 240 सीटें जीतने वाली भाजपा 2014 के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत से पीछे रह गई है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए ने 234 सीटें जीती हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि अब लोकसभा चुनाव के परिणाम जारी हो चुके हैं, जो कि आप सबके सामने हैं। ईवीएम को कुछ दिन अब आराम करने देते हैं। अगले चुनाव में उसको फिर से निकालेंगे, वो फिर अपने काम पर लगेगी। उन्होंने ईवीएम पर उठने वाले सवालों पर कहा कि ईवीएम को हर चुनाव में कोसा जाता है। शायद उसका अविष्कार उसी मुहूर्त में हुआ है कि उसको हर बार संदेह का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में द्विवार्षिक/उपचुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता लागू है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव लंबित है। उन्होंने कहा कि हम 12 मार्च को वहां गए थे, हमने संकेत दिया था कि सही समय पर चुनाव कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम वहां के लोगों को जल्द से जल्द अपनी सरकार बनाने और अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने का मौका देंगे।

साथियों बात अगर हम 2024 के चुनाव में कुल मतदान प्रतिशत 65.79 प्रतिशत होने की करें तो आम चुनाव 2024 में मतदान केंद्रों पर 65.79 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त मानक प्रथा के अनुसार, डाक मतों की संख्या तथा सकल मतदान की विस्तृत सांख्यिकीय रिपोर्टें अंतिम रूप दिए जाने के पश्चात आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएंगी। डाक मतपत्रों में सेवा मतदाता, अनुपस्थित मतदाता (85+, दिव्यांग, आवश्यक सेवाएं आदि) और चुनाव ड्यूटी पर लगे मतदाता शामिल हैं।

साथियों बात अगर हम महात्मा गांधी के अहिंसा संदेश से शांतिपूर्ण हिंसा मुक्त चुनाव के प्रति प्रतिबद्धता के प्रण की बात चुनाव आयोग द्वारा करने की करें तो, माननीय राष्ट्रपति को 18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों के नाम सौंपने के बाद आज शाम राजघाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के ग्रेजुएट और टीचर्स निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर, जहां तत्काल प्रभाव से आदर्श आचार संहिता लागू नहीं रहेगी, वहां ग्रेजुएट और टीचर्स निर्वाचन क्षेत्रों में विधान परिषद के द्विवार्षिक/उप-चुनावों के कारण एमसीसी लागू है। उन्होने कहा हम यहां राष्ट्र द्वारा हमें सौंपे गए पवित्र कार्य, 18वीं लोकसभा के आम चुनाव संपन्न कराने के बाद राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए खड़े हैं। हम भारत के लोगों की इच्छा को लगभग अहिंसक तरीके से उत्प्रेरित करने के बाद अपने दिल में विनम्रता लिए हुए यहां खड़े हैं। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है, यह वह स्पष्ट प्रतिबद्धता थी जिसके साथ 16 मार्च, 2024 को 18वीं लोकसभा के चुनावों की घोषणा की गई थी। चुनावी प्रक्रिया को हिंसा से मुक्त रखने की इस प्रतिज्ञा के पीछे हमारी प्रेरणा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे। उन्होंने इंसान के बीच समानता की वकालत की और सभी के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की वकालत की, महात्मा के विचारों में वयस्क मताधिकार सभी प्रकार के वर्गों की सभी उचित आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है।

मतदान केन्‍द्रों पर उत्सव के मूड में लंबी कतारें और मतपत्र के माध्यम से अपने भविष्य का फैसला करने का दृढ़ संकल्प महात्मा के पोषित आदर्शों और भारत की सभ्यतागत विरासत का प्रमाण था।आयोग ने पूरे दिल, दिमाग और पूरी ईमानदारी के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है कि सबसे आम भारतीय का मताधिकार किसी भी कीमत पर नकारा न जाए, बल्कि इसे सख्ती से सक्षम बनाया जाए; कि दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी प्रतियोगिता लोकतांत्रिक अधिशेष पैदा करे; और हमारे विशाल परिदृश्य में शामिल करोड़ों लोगों के गहन कार्यों में किसी भी रूप में हिंसा की थोड़ी सी भी छाया पड़ने की अनुमति न हो। जम्मू-कश्मीर और मणिपुर समेत भारत के सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों ने अपने परिपक्व आचरण से एक मिसाल कायम की है जो भविष्य के लिए शुभ संकेत है। शांति और विकास का रास्ता गोली नहीं बल्कि मतपत्र है। हम इस शपथ के साथ अपनी बात समाप्त करते हैं कि भारत के निर्वाचन आयोग की राष्ट्र के प्रति सेवा, जो अब अपने 76वें वर्ष में है, अडिग समर्पण के साथ जारी रहेगी। हमने अफवाहों और निराधार संदेहों के साथ चुनावी प्रक्रिया को दूषित करने के सभी प्रयासों को खारिज कर दिया, जो अशांति भड़का सकते थे। भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं में अपार आस्था रखने वाले आम आदमी की इच्छा और बुद्धि की जीत हुई है। हम नैतिक और कानूनी रूप से स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव आयोजित करके हमेशा इसी भावना को बनाए रखने के लिए बाध्य हैं।

साथियों बात अगर हम चुनाव 2024 में लगी आचार संहिता हटाने की करें तो, लोकसभा चुनावी प्रक्रिया खत्म होने के साथ ही गुरुवार शाम को भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति से मुलाकात की। उन्होंने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 73 के तहत आयोग द्वारा जारी अधिसूचना की एक कॉपी राष्ट्रपति को सौंपी। जिसमें 18वीं लोकसभा के आम चुनावों के बाद चुने गए सभी 543 लोकसभा सदस्यों के नाम भी थे। इसी के बाद आयोग द्वारा देशभर में 16 मार्च से लगी आदर्श आचार संहिता को भी 6 जून की शाम को तुरंत प्रभाव से हटा लिया गया। देश में लोकसभा चुनाव सात चरणों में हुए। मंगलवार को लोकसभा चुनाव का परिणाम चुनाव आयोग ने घोषित किया। लोकसभा चुनाव के दौरान देशभर में चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू की थी। जिसे बृहस्पतिवार को हटा दिया गया। इसके लिए आयोग की तरफ से राष्ट्रपति भवन के कैबिनेट सेक्रेटरी, सभी 36 राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्य चुनाव अधिकारी को इस आदेश की कॉपी भेजी गई है। आयोग ने बताया कि आम चुनाव कराने की वजह से देशभर में लगी आदर्श आचार संहिता को हटा लिया गया है। इनमें वह राज्य भी शामिल हैं। जहां-जहां विधानसभा चुनाव भी हुए थे। हालांकि, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के उन निर्वाचन क्षेत्रों में आचार संहिता अभी लागू रहेगी। जहां द्विवार्षिक और उप चुनाव हैं।

साथियों बात अगर हम दक्षिण अफ्रीका में आए हंग चुनावी परिणाम की करें तो, दक्षिण अफ्रीका में ऐतिहासिक चुनाव के परिणाम में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) को संसद में बहुमत नहीं मिला। दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद से मुक्त कराने वाली एएनसी पार्टी ने इस तरह 30 साल में पहली बार बहुमत गंवा दिया।बुधवार को हुए चुनाव के लिए 100 प्रतिशत मतगणना पूरी हो चुकी है और सत्तारूढ़ एएनसी को 40 प्रतिशत से अधिक मत मिले है जो बहुमत से कम है। चुनाव आयोग ने रविवार को चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा में कहा कि एएनसी ने दक्षिण अफ्रीका की नेशनल असेंबली में 400 में से 159 सीटों पर जीत हासिल की है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के नेतृत्व वाली एएनसी ने 30 साल पहले 1994 में नेल्सन मंडेला के निर्वाचित होने के बाद पहली बार अपना बहुमत खोया है। हालांकि, रामाफोसा ने बहुमत नहीं मिलने के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और विभिन्न दलों के बीच अभूतपूर्व गठबंधन वार्ता शुरू हो गई है, ताकि देश में सरकार बनाई जा सके। विपक्षी दलों ने इसे गरीबी और असमानता से जूझ रहे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता बताया। एएनसी हालांकि किसी तरह सबसे बड़ी पार्टी बनी रही, लेकिन अब उसे सरकार में बने रहने और राष्ट्रपति रामाफोसा को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनने के लिए गठबंधन सहयोगियों की तलाश करनी होगी। राष्ट्रीय चुनाव के बाद संसद दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का चुनाव करती है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को नवनिर्वाचित सांसदों की सूची सौंपी- आचार संहिता हटाई- नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू।राष्ट्रपति ने स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग, सुरक्षा कर्मियों व चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने वाले करोड़ों मतदाताओं की सराहना की। 18वीं लोकसभा का कार्यकाल 17 जून से शुरू होने के पहले नई सरकार का गठन करने को रेखांकित करना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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