लोकसभा चुनाव में सीएम की गिरफ्तारी,सहानुभूति मुद्दा रंग ला सकता है-मामला दूर तलक जाने की संभावना
लोकसभा चुनाव की तैयारी- मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी- लोकसभा कैंपेन के पटरी से उतरने सहित अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनावों पर असर पड़ने की संभावना- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां में सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के चुनावी प्रक्रिया के प्रथम चरण 19 अप्रैल 2024 के नामांकन की प्रक्रिया आज 21 मार्च 2024 से शुरू होते-होते देर रात इसी लोकतंत्र के चुनावी पर्व में विजय हासिल किए हुए एक मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरी दुनियां में हड़कंप मच गया है। बता दें दिल्ली में 25 मई 2024 को 7 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव होने हैं जिसमें गठबंधन के तहत एक पार्टी को चार व दूसरी को तीन सीटें मिली है वहीं सत्ताधारी पार्टी 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अगले साल ही दिल्ली की विधानसभा के चुनाव भी होने हैं जिनको रेखांकित करना जरूरी है। बता दें कि गिरफ्तार सीएम का दो-तीन टर्म से काफी दबदबा देखा गया है।
दिनांक 21 मार्च 2024 को देर शाम रात्रि में गिरफ्तार हुए सीएम को लेकर सोशल, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया में हड़कंप मच गया है। जिसमें दिखाया गया सीएम के घर से लेकर ईडी दफ्तर तक, फिर मेडिकल, जांच पूछताछ सहित एमपी, एमएलए कोर्ट में पेशी की पूरी प्रक्रिया चल रही है। नेताओं के बयान आ रहे हैं व देश की जनता देखती रह गई।
मेरा मानना है कि जिस तरह इन सीएम साहब की पार्टी को जनता हाथों हाथ लेकर दो-तीन टर्म से भारी मार्जिन से चुनाव जीता रही है, वहीं यह दांव सत्ताधारी पार्टी के लिए कहीं भारी उल्टा न पड़ जाए आसमान की बुलंदियों को छुने वाली पार्टी के लिए।
क्योंकि यह तो सब जानते हैं कि हमाम में सब वो होते हैं और हो सकता है भारी सहनुभूति पाकर लोकसभा की चार सीटें झोली में आ जाए परंतु दूसरी ओर हो सकता है कि उनसे जनता का मोह भंग हो जाए और ट्रेन पटरी से उतर जाए क्योंकि 21 मार्च 2024 को देर रात्रि से आज 22 मार्च 2024 को भी प्रिंट इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया में जोरदार हंगामा मचा हुआ है कि ईडी की रडार : मुख्यमंत्री गिरफ्तार।
इसलिए आज हम मीडिया व टीवी चैनलों में आई जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोकसभा चुनाव की तैयारी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी लोकसभा कैंपेन के पटरी से उतरने सहित अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव पर असर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
साथियों बात अगर हम सीएम की गिरफ्तारी की करें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री को गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने तकरीबन 2 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इसी के साथ ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या सीएम की गिरफ्तारी हो सकती है? ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि कुछ वक्त पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को ईडी ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, उन्होने गिरफ्तारी से पहले सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन यह मामला अलग है।
साथियों बात अगर हम सीएम को गिरफ्तारी से छूट पर संविधान के अनुच्छेद 361 की करें तो संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत सीएम को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है। ठीक यही नियम प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी हैं। हालांकि, राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती है और न ही कोई कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है। न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) किसी सरकारी अधिकारी के जेल जाने की स्थिति में उसे निलंबित करने का कानून है, लेकिन राजनेताओं पर कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है। फिर भी चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।
कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।
बता दें कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
राज्यसभा के पूर्व महासचिव ने कहा, केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है। ऐसे में यदि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं। इसे लेकर संवैधानिक नियम कायदे जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि, पूर्व में ऐसा कोई मामला ध्यान में नहीं आता, जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो।
साथियों बात अगर हम सीएम को सम्मन और अब तक गिरफ्तार मुख्यमंत्री की करें तो, चारा घोटाला मामले में सीबीआई की चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थी। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई थी।
वहीं जयललिता ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराई गई थी जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि, मामले की जांच जब तक चली थी वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रही थीं।
ऐसा ही एक मामला साल 2011 में कर्नाटक से सामने आया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
शराब नीति केस में ईडी ने अरविंद केजरीवाल को इस साल 17 मार्च को नौवां समन भेजा था। उससे पहले दिल्ली के सीएम को 27 फरवरी को आठवां, 26 फरवरी को सातवां, 22 फरवरी को छठा, 2 फरवरी को पांचवां, 17 जनवरी को चौथा, 3 जनवरी को तीसरा समन जारी किया गया था। वहीं, 2023 में 21 दिसंबर को दूसरा और 2 नवंबर को पहला समन जारी हुआ था।
साथियों बात अगर हम सीएम को दिल्ली पंजाब और जनता की सहानुभूति करें तो, ईडी की तरफ से केजरीवाल को लगातार पूछताछ के लिए समन भेजे जाने के बीच आम आदमी पार्टी ने लोगों की एक राय ली थी। यह राय थी यदि केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसे में सर्वे को लेकर आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया था कि दिल्ली वाले चाहते हैं कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएं।
दूसरी, तरफ केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद कहा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जरूरत पड़ने पर, वह जेल से सरकार चलाएंगे। ऐसा कोई नियम नहीं है जो जेल से सरकार चलाने की मनाही करता हो। अब सवाल है कि क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली में जनता की सहानुभूति मिलेगी। दिल्ली में मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं के लिए फ्री बस सफर जैसी लोकलुभावन योजनाओं से केजरीवाल अधिकतर दिल्ली वालों के दिल में बसे हुए हैं।
ऐसे में केजरीवाल की गिरफ्तारी से यदि सहानुभूति लहर बनती है तो इसका असर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की चार नहीं बल्कि सातों सीटों पर देखने को मिल सकता है। इसकी वजह है कि दिल्ली में पार्टी का अभियान केजरीवाल पर केंद्रित था। पंजाब और गुजरात में भी आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ रही है। पंजाब में पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं है। यहां सीएम भले ही भगवंत मान हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब का दौरा कर रहे थे। ऐसे में अगर आम आदमी की गिरफ्तारी को भुनाने में कामयाब रही तो उसका असर पंजाब के साथ ही गुजरात में भी देखने को मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब में यह इस बात पर निर्भर करता केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जनता के बीच किस तरह से पेश करती है। हालांकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद प्रियंका गांधी ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी है, उससे आम आदमी पार्टी को जरूर नैतिक बल मिलेगा। प्रियंका ने अपने ट्वीट में लिखा चुनाव के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस तरह टार्गेट करना एकदम गलत और असंवैधानिक है।
राजनीति का स्तर इस तरह से गिराना न प्रधानमंत्री जी को शोभा देता है, न उनकी सरकार को। पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने जिस तरह कहा है कि केंद्र सरकार चाहकर भी अरविंद केजरीवाल की सोच को गिरफ्तार नहीं कर सकती। यह इस बात का इशारा है कि आम आदमी पार्टी केजरीवाल के जेल जाने के बाद भी केजरीवाल के मॉडल को लोगों के सामने रखती रहेगी।
आम आदमी पार्टी केजरीवाल की गिरफ्तारी को एक शहादत की तरह पेश करेगी और लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का पूरा प्लान इसी के इर्द-गिर्द चलाया जाएगा। साथ ही इसके सहारे आम आदमी पार्टी इसे भाजपा की नाकामी भी बताने की कोशिश करेगी। सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या इस शह-मात के खेल में अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर जनता का साथ मिलेगा।
इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले जब उन्होंने आंदोलन की राह पकड़ी थी तब देश के एक बड़े वर्ग में उन्होंने एक वैकल्पिक राजनीति के लिए बड़ी उम्मीद पैदा की थी। हालांकि, अब उन पर शराब घोटाले के आरोप लग चुके हैं। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की छवि अब वह नहीं रह गई है जिस तरह की पहले हुआ करती थी। यदि आंदोलन होता भी है तो उस आंदोलन के पास अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल या योगेंद्र यादव जैसे नेता नहीं होंगे। ऐसे में आम आदमी पार्टी केजरीवाल की गिरफ्तारी का राजनीतिक लाभ उठा पाएगी, यह कहना मुश्किल है।
ईडी का यह कदम बीजेपी के खिलाफ कहीं उल्टा ना पड़ जाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को ये भी डर है कि कहीं केजरीवाल को गिरफ्तार करने का उनका प्लान उल्टा न पड़ जाए। पार्टी का एक धड़ा यह मानता है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली में लोकसभा चुनाव में लोग बीजेपी के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं। जब केजरीवाल को उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा कई समन जारी किए जा रहे थे तब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था केजरीवाल की गिरफ्तारी से न केवल पार्टी के लोकसभा कैंपेन के पटरी से उतरने का खतरा है बल्कि दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनावों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ईडी की रडार – मुख्यमंत्री गिरफ्तार। लोकसभा चुनाव में सीएम की गिरफ्तारी, सहानुभूति मुद्दा रंग ला सकता है- मामला दूर तलक जाने की संभावना। लोकसभा चुनाव की तैयारी- मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी- लोकसभा कैंपेन के पटरी से उतरने सहित अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनावों पर असर पड़ने की संभावना है।
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