जवाहर लाल नेहरू जी के निधन को आज 56 साल हो गये। आज कितने लोग हैं जो वास्तव में उस समय की राजनीति और समाज की वास्तविकता को जानते भी हैं। मगर कुछ ऐसे लोगों ने जिन्होंने देश को वास्तव में कोई योगदान नहीं दिया केवल नफरत और बांटने की बातें की उनके निधन के बाद उनको अपशब्द और निराधार आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने को अपना अजेंडा बना लिया।
चलो ज़रा समझते हैं कौन क्या है कौन क्या था और आपको क्या अच्छा लगता है। जवाहर लाल नेहरू जी इक अमीर जाने माने वकील की संतान जो विदेश से पढ़कर भारत अपने देश आकर वकालत की कमाई को छोड़ गांधी जी के साथ मिलकर आज़ादी की लड़ाई में जेल गए 9 बार उनको जेल की सज़ा मिली और कुल 3259 दिन उन्होंने जेल में जहां कैद के साथ काम भी करना होता था और जुर्माना नहीं भरने पर कैद बढ़ भी जाती थी।
नेहरू की सोच और नज़र साफ थी। उनको नया आधुनिक भारत बनाना था जिस में शिक्षा उद्योग और आई आई एम एस जैसे स्वस्थ्य संसथान आई आई टी और आई आई एम जैसे शिक्षा संसथान का निर्माण किया गया। जब उनसे विदेशी सरकार के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने की बात की गई तो उनका जवाब था
” आज़ादी और गुलामी और सच और झूठ में कोई समझौता नहीं हो सकता है। “
खुद को गरीब सेवक चौकीदार कहने वाला अपनी शानो शौकत पहनावे और विदेशी सैर पर बेतहाशा धन उड़ाता है और अपने गुणगान पर और दल को अमीर बनाने पर दिन रात लगा रहता है देश को खाली भाषण देता है। कहां अपनी आलोचना को भी आदर देने वाला वो महान व्यक्ति और कहां आज कोई सरकार की कमी को उजागर करता है तो उसे अपशब्द और अपमानित ही नहीं भीड़ से लिंचिंग तक में मरवा दिया जाता रहा है।
सबसे अनुचित अपने से पहले के उन लोगों जो कब से दुनिया को छोड़ गए हैं अपनी नफरत की नकारात्मक राजनीति का माध्यम बनना शायद कोई भी समाज या धर्म स्वीकार नहीं करता है। शायद कभी इतिहास फैसला करेगा कि कौन देश को सब कुछ अर्पित करने वाला था और कौन था जिसने लूटा देश को खोखले भाषण और झूठी बातों से बहलाकर।
नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत हैं । इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।