कोलकाता। कोलकाता की दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) का अंदाज सबसे निराला होता है। यहां के पंडालों की भव्यता को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। हर साल नई थीम के साथ कोलकाता में दुर्गा पंडाल बनाए जाते हैं जो भक्तों को आकर्षित करते हैं। फिलहाल दक्षिण कोलकाता (South Kolkata) के ढाकुरिया में बाबूबगान सार्वजनिन दुर्गा समिति द्वारा एक नई थीम के साथ बनवाया गया दुर्गा पंडाल काफी सुर्खियों में है। बाबूबगान दुर्गा पूजा पंडाल ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ थीम को ध्यान में रखते हुए देश-दुनिया में कभी चलन में रहे पुराने, दुर्लभ और ऐतिहासिक सिक्कों के विशाल प्रदर्शन के साथ अपना पूजा पंडाल तैयार किया है।
बाबूबगन सार्वजनिन दुर्गोत्सव समिति द्वारा इस साल इस दुर्गा पूजा पंडाल की थीम ‘मां तुझे सलाम’ रखी गई है। खास बात ये है कि इस पंडाल को स्वतंत्रता के बाद से जारी किए गए हजारों स्मारक सिक्कों से बनाया गया है। समिति के मुताबिक इस पंडाल को बनाने में लाखों रुपये की लागत आई है। ये पंडाल अपनी अलग थीम की वजह से काफी चर्चा में बना हुआ है। पूजा समिति कोषाध्यक्ष प्रो सुजाता गुप्ता ने बताया, “हमारे पंडाल की थीम ‘मां तुझे सलाम’ है। हम दुर्गा पूजा के अवसर पर अपने स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को चित्रित कर रहे हैं।
इस पंडाल को बनाने में हमें लगभग 2 महीने का समय लगा और इसमें लगभग 30-35 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।” यहां पर लगे हजारों सिक्कों में कुछ असली हैं तो कई की प्रतिकृतियां हैं। मूर्ति को एक कॉइन म्यूजियम में रखा जाएगा। सिक्कों पर दुर्गा मां की मूर्तियों बनी हैं। इसके अलावा, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद और अन्य जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिकृतियां सिक्कों पर मौजूद हैं।
दुर्गा पूजा कमेटी की थीम मेकर और कोषाध्यक्ष प्रोफेसर गुप्ता ने आगे कहा, ‘सिक्के इकट्ठा करना मेरा शौक है, मेरे पति भी सिक्के एकत्र करते थे। हमारे पास ऐसे कई पुराने सिक्के थे जो आज के जमाने में चलन में नहीं हैं। इसलिए हमने इस पंडाल के जरिए आने वाली पीढ़ी को एक संदेश देने का विचार किया। इसके साथ ही वो सभी लोग चाहे बुजुर्ग हों या बच्चे जिन्होंने ऐसे सिक्कों को नहीं देखा वो एक ही छत के नीचे देश की एतिहासिक विरासत को देख सकेंगे।’
अगर आप भी इस साल कोलकाता में दुर्गा पूजा के लिए जाने की तैयारी कर रहे हैं तो बाबूबगन सरबजनिन दुर्गोत्सव समिति द्वारा बनाए गए इस पंडाल में जरूर जाएं। वहीं इस पंडाल के निर्माताओं ने दुर्गा पूजा को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ घोषित करने के लिए यूनेस्को को धन्यवाद देते हुए उनका आभार जताया है। दुर्गा पूजा को लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। अश्विन माह के दौरान यह उत्सव हर साल आयोजित किया जाता है।