।।कुछ रिश्ते।।
डॉ. आर.बी. दास
कुछ रिश्ते सबसे अपने होते हैं,
ना मांगते हैं कुछ
ना अहसान जताते हैं,
बस दुआओं से झोली भर जाते हैं…
कुछ रिश्ते बहुत खरे होते हैं,
क्या दिया क्या लिया
कोई नाप तोल नहीं,
चाहे प्यार हो, नाराजगी
फिर भी हर हाल में निभाते हैं…
कुछ रिश्ते इतना खामोश होते हैं, कि
शोर नहीं मचाते अपने होने का, पर
जब भी दुःख की घड़ी हो
बिना कहे दर्द बांट
जीने का हौसला देते हैं…
कुछ रिश्ता इतना बड़प्पन लिए होते हैं,
चाहे कितना भी ऊंचा हो खुद का रुतबा,
सामने वाले को कभी
छोटा महसूस नहीं कराते…
कुछ रिश्ते कहने को तो बड़े गैर से होते हैं,
पर अजनबीपन हम उसमे ढूंढ नहीं पाते हैं,
वो अपनो से ज्यादा प्यार लुटाते हैं…
कुछ रिश्ते साथ में कभी नजर नहीं आते,
पर इतने रूहानी होते,
कि ताउम्र रूह में बसते हैं,
सांसों को जीवन देते हैं…
कुछ रिश्ते….