डॉ. मधु आंधीवाल की लघुकथा – जूठन

।।जूठन।।
डॉ. मधु आंधीवाल

10 साल की कमली कभी बुखार में तपती मां को देखती कभी अपने एक साल के छोटे भाई को जो मां की छाती में अपने सूखे होंठ घुसा रहा था। उसको क्या पता था कि वहाँ दूध क्या पानी की बूंद भी सूख चुकी है। इस कोरोना ने पिछले साल उसके बापू और एक बहन एक भाई को छीन लिया। मां कुछ काम करके अपने बच्चों का पेट पाल रही थी। आज घर में एक दाना भी नहीं था शायद इस झुग्गी में हर घर का हाल यही था। कल सामने वाले बंगले में कोई बहुत बड़ा जलसा था थ। बहुत सजावट और गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी। कमली झोपड़ी से बाहर निकली कुछ जुगाड़ करने।

उसने देखा बराबर कि झोपड़ी में रामा काकी की दोनों बेटियाँ चन्दा और मनिया जो उम्र में कमली से 5-6 साल बड़ी थी। खाने की जुगाड़ में उसी कोठी की तरफ जा रही थी। दोनों ने कमली को टोकरी पकड़ाई और कहा चल वहाँ कुछ ना कुछ तो मिलेगा। जब तीनों कोठी के बाहर पहुँची तो देखा बहुत सारी जूठन गेट के अन्दर है। वह तीनों गेट के अन्दर पहुंच गयी। जैसे ही उन्होंने टोकरे में भरना शुरू किया। बंगले के मालिक का बेटा और उसका दोस्त बाहर आ गये देख कर बोले अरे हमारे साथ आओ अच्छा खाना देते हैं। वह तीनों जब अन्दर जाने लगी तब वह दोनों बोले अरे इस छुटकी को यहाँ बैठा दो इसका खाना तुम लेआना।

भीतर पहुँच कर दोनों चन्दा और मनिया को एक कमरे में ले गये वह दोनों बोली हमें बाहर जाने दो वह दोनों बोले अरे बस 15 मिनट की बात है भरपेट खाना लेना, बस दोनों को जकड़ कर शुरू कर दिया हैवानियत का नंगा नाच। जब दोनों लगड़ाती बाहर आई तब कमली बोली दीदी मैने थोड़ी खाने की जूठन उठा ली है क्या मै भीतर जाकर और ले आऊं दोनों ने उसको तेजी से कस कर पकड़ा और भागने लगी और रोते हुये बोलीं तू अभी बहुत छोटी है जानवर निगल लेगें। कमली ने ना समझी से पूछा आपको तो छोड़ दिया। चन्दा और मनिया बोली हां चबा कर छोड़ दिया।madhu jpg

डॉ. मधु आंधीवाल
madhuandhiwal53@gmail.com

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