डीपी सिंह की रचनाएं

*मुक्तक*

भूल जो भी हुई, प्रभु! क्षमा कीजिए
कष्ट में है, मनुज को अभय दीजिए
नष्ट ही हो न रचना कहीं आपकी
व्याधि के पाश से अब बचा लीजिए

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