कुण्डलिया
मुफ़्त बाँटती जो कभी, लगा खाट पर हाट।
वो दिल्ली अब ढूँढ़ती, हस्पताल में खाट।।
हस्पताल में खाट, नहीं है, वाट लगी है।
भरते मुर्दाघाट, खाट अब खड़ी हुई है।।
बोया जैसा बीज, फ़सल भी वही काटती।
मुफ़्तखोर को सृष्टि, वबा भी मुफ़्त बाँटती।।
मुफ़्त बाँटती जो कभी, लगा खाट पर हाट।
वो दिल्ली अब ढूँढ़ती, हस्पताल में खाट।।
हस्पताल में खाट, नहीं है, वाट लगी है।
भरते मुर्दाघाट, खाट अब खड़ी हुई है।।
बोया जैसा बीज, फ़सल भी वही काटती।
मुफ़्तखोर को सृष्टि, वबा भी मुफ़्त बाँटती।।