डीपी सिंह की कुण्डलिया

सूखा कचरा डालिए, नीले कूड़ेदान।
गीले कचरे के लिए, हरा रंग श्रीमान।।
हरा रंग श्रीमान, सड़ाकर खाद बनाओ।
रंग बिरंगे फूल, और कुछ फ़सल उगाओ।
कह डी पी कविराय, रहे क्यों कोई भूखा।
हरियाली चहुँ ओर, मिटे भारत से सूखा।।

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