डीपी सिंह की कुण्डलिया

पप्पू कह कह कर जिसे, करें नज़र अन्दाज़।
देश द्रोह के कोढ़ में, वो है असली खाज।।
वो है असली खाज, शातिरों का भी शातिर।
देश बाप का माल, ताज है इसकी खातिर।।
खातिर की दरकार, करो अब इसकी जी भर।
कमतर इसके पाप, करो मत पप्पू कह कर।।

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