साहित्यिकी संस्था द्वारा रामेश्वर नाथ मिश्र अनुरोध के महाकाव्य राष्ट्र पुरुष नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर परिचर्चा

कोलकाता। साहित्यिकी की जनवरी महीने की मासिक गोष्ठी में सुप्रसिद्ध साहित्यकार रामेश्वर नाथ मिश्र “अनुरोध” के महाकाव्य “राष्ट्र पुरुष नेताजी सुभाष चंद्र बोस” पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। आरंभ में संस्था की सचिव डॉ. मंजू रानी गुप्ता ने साहित्यिकी का संक्षिप्त परिचय देते हुए उपस्थित अतिथियों और सदस्याओं का स्वागत करते हुए संस्था की सदस्या एवं समाजसेवी वाणीश्री बाजोरिया को कार्यक्रम के संचालन के लिए आमंत्रित किया। आकाशवाणी की उद्घोषिका एवं कवित्री सविता पोद्दार ने अनुरोध जी की विभिन्न साहित्यिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उनकी रचनाओं में करुणा, प्रेम, आक्रोश सभी भावों की अभिव्यक्ति हुई है।

उनके अन्य संग्रह में कुछ श्रृगार परक रचनाएं हैं जहां नायिका के सौंदर्य वर्णन में कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया गया। अतिथि वक्ता शंकर मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि “राष्ट्र पुरुष सुभाष चंद्र बोस” महाकाव्य में नेताजी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। महाकाव्य में प्राचीन मान्यताओं को छोड़कर नयी मान्यताओं का प्रयोग किया गया है। पुस्तक में रूपक, अनुप्रास, उपमा जैसे अलंकारों की छटा है। मानवीकरण का अद्भुत प्रयोग किया गया है। भाव संप्रेषण के लिए शब्दों को स्थान-स्थान पर संक्षिप्त एवं विस्तृत किया गया है ग्रंथ पूरी तरह से सार्थक और समीचीन है। राष्ट्रभक्ति को लोगों के मन में जगाना महाकाव्य का उद्देश्य है।

अनुरोध जी ने अपने वक्तव्य में नेताजी के जीवन से जुड़ी विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं पर विशद रूप से प्रकाश डाला। नेताजी महिलाओं का विशेष सम्मान करते थे और उन्होंने महिलाओं की सेना भी बनायी। उनमें अद्भुत संभाषण शक्ति थी। उनका भाषण सुनकर लोग देश प्रेम में अपनी धन संपत्ति, महिलाएं आभूषण आदि अर्पित कर देती थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता दुर्गा व्यास ने की एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था की अध्यक्ष विद्या भंडारी ने किया। कार्यक्रम में सदस्याओं की अच्छी ख़ासी उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाया। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने।

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