Discussion of the contribution of non-Hindi scholars in the development of Hindi

हिन्दी के विकास में हिन्दीतर विद्वानों के योगदान की भी चर्चा

  • राजभाषा के कार्यान्वयन की समीक्षा बैठक सम्पन्न
  • डॉ.अभिज्ञात की गजलों ने समां बांधा

कोलकाताः कोलकाता नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-1) की 66 वीं बैठक का आयोजन कोलकाता आयुध निदेशालय (समन्वय एवं सेवाएं), कोलकाता के तत्वावधान में किया गया। इस समिति के अंतर्गत कुल 66 सदस्य कार्यालय हैं। बैठक राजारहाट कॉम्प्लेक्स के सम्मेलन कक्ष में हुई, जिसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष तथा आयुध महानिदेशक संजीव गुप्ता ने की। समारोह में वार्षिक राजभाषा पत्रिका ‘स्वर्णिमा’ का विमोचन किया गया।

समारोह की मुख्य अतिथि बाबा साहेब अंबेडकर शिक्षण विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ.सोमा बंद्योपाध्याय ने कहा कि हिन्दी के कार्यान्वयन का सबसे बेहतर तरीका है हिन्दी में दिलचस्पी पैदा करना। यदि हिन्दी में हिन्दीतर लोगों की दिलचस्पी पैदा हो जाये तो वे अपना काम सहजता से कर सकेंगे।

उन्होंने हिन्दी में प्रशिक्षण के कई गुर बताये। साथ उन्होंने हिन्दी के विकास में हिन्दीतर महापुरुषों व विद्वानों के योगदान और समर्थन का उल्लेख करते हुए हिन्दी की महत्ता बतायी।

Discussion of the contribution of non-Hindi scholars in the development of Hindi

समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर साहित्यकार और मशहूर गजलकार डॉ.अभिज्ञात ने अपनी दर्जन भर गजलों को सुनाकर सबका मन मोह लिया और खूब तालियां बटोरीं।

उनका यह शेर खास तौर पर चर्चा में रहा-‘मैं कागज की कश्ती में था डूब गया। /अफ्वाहें हैं मैंने दरिया छोड़ा है।’ उनकी एक गजल के शेर यूं थे-हौसला टूटने लगा था मेरा/ख्वाब से कश्तियां निकल आयीं। अपनी तकदीर खुद ही लिखने को/घर से अब बेटियां निकल आयीं।’

बैठक में अपर आयुध महानिदेशक व समिति के उपाध्यक्ष एनके अग्रवाल, आयुध उपमहानिदेशक एवं समिति के संयोजक पीके साहू एवं आयुध उप निदेशक व समिति के सचिव श्रीजीब दास के अलावा विभिन्‍न केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों के विभागाध्यक्ष एवं प्रतिनिधि उपस्थित थे।

इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय (पूर्व) के अनुसंधान अधिकारी ओमप्रकाश प्रसाद, केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के सदस्य महेंद्र प्रसाद भी उपस्थित थे। सदस्य कार्यालयों से प्राप्त छमाही रिपोर्टों की समीक्षा के आधार पर श्रेष्ठ राजभाषा कार्यान्वयन हेतु क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, कोलकाता एवं राजभाषा प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

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