Kolkata Hindi News, कोलकाता। 47वें कोलकाता विश्व पुस्तक मेला के प्रेस कार्नर में “पुस्तक प्रकाशन; साहित्य सेवा या व्यवसाय” इस विषय पर परिचर्चा में डॉ अमित रॉय, कोलकाता केंद्र निदेशक, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने मूल्यबोध की गिरावट पर चिंता जताई के कहा यथार्थ खत्म हो रहा है।
ईश्वर के चित्र बनाने से प्रिंट तक प्रतिरोध का इतिहास रहा है। टच से दुनियां को बदलने की मानसिकता बढ़ रही है। स्क्रीन मूल्य, बाजार को निर्धारण कर रहा है। रोशनाई प्रकाशन के संजय भारती जी ने मूल्यबोध का भावनात्मक विश्लेषण किया।
व्यंग्यकार बलवंत सिंह ने भी इसके वास्तविक पहलू पर परिचर्चा की। जितेंद्र जितांशु ने इस विषय पर शोध करने की पहल की।इसके साथ ही कवि हीरा लाल साव की पुस्तक “तपो और तपो” का लोकार्पण हुआ।
साथ ही प्रो कम्मू खटिक,संपादक में “मास्क के पीछे क्या है ? भाग एक “ की पूरी प्रक्रिया पर बात की तथा पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। इसके व्यंग्य लेखक पप्पू रजक को पुस्तक प्रदान की गई।
उपस्थित थे कवि रनविजय श्रीवास्तव, रामनाथ बेखबर, कौशल किशोर सिंह ,दीपा साव ,प्रणति ठाकुर तथा अन्य। स्वागत भाषण मीनाक्षी सांगेनारिया ने दिया। अंत में हीरालाल सबने एक कविता पढ़ी और धन्यवाद भी दिया।
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