पं. मनोज कृष्ण शास्त्री, बनारस : सूर्यग्रहण 4 दिसंबर 2021 को आकार लेने वाला है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी इस प्रकार है : सूर्य ग्रहण का प्रकार, दृश्यता तिथि और समय। खग्रास सूर्य ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा। लेकिन विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देगा जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बोत्सवाना, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, मेडागास्कर, दक्षिण जॉर्जिया और तस्मानिया जैसे देश शामिल हैं, इन देशों में सूर्य ग्रहण दृश्य मान होगा। 4 दिसंबर 2021
अधिक जानकारी : उपरोक्त वर्णित खग्रास सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा और शास्त्र अनुसार जहां ग्रहण दृश्यमान ना हो, वहां पर उसका सूतक भी मान्य नहीं होता है। इसलिए भारत के किसी भी क्षेत्र में इस ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होगा और आप यदि आप भारत में रहते हैं तो आपको इस ग्रहण से संबंधित कोई भी नियम पालन करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि जो लोग ऊपर बताए गए देशों में रहते हैं, जहां पर यह ग्रहण दिखाई देगा, उनके लिए सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व शुरू हो जाएगा और ग्रहण की समाप्ति के बाद ही सूतक काल समाप्त होगा। उपरोक्त वर्णित खंडग्रास सूर्यग्रहण मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनिवार के दिन 4 दिसंबर 2021 को भारतीय समय के अनुसार प्रातः काल 10:59 से अपराह्न 15:07 तक घटित होगा। यह एक खग्रास सूर्यग्रहण होगा अर्थात पूर्ण सूर्यग्रहण।
खग्रास सूर्यग्रहण के ज्योतिषीय समीकरण :
4 दिसंबर 2021 को घटित होने वाला खग्रास सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में आकार लेगा। वृश्चिक राशि मंगल महाराज के आधिपत्य की राशि है जबकि ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी बुध देव को माना गया है। इस प्रकार जो लोग वृश्चिक राशि या ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे हैं, उन पर विशेष रूप से इस ग्रहण का प्रभाव होगा लेकिन यह वही लोग होंगे, जो ऐसे स्थानों पर निवास कर रहे हो, जहां पर सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। सूर्य को प्राण कहा जाता है अर्थात यह आत्मा का कारक होता है और चंद्रमा मन का कारक होता है। जब सूर्य ग्रहण घटित होता है तो सूर्य और चंद्रमा लगभग एक समान अंशों पर होते हैं। ऐसे में ग्रहण लगना इन सभी से संबंधित प्राणियों पर विशेष प्रभाव डालता है।
इस खग्रास सूर्यग्रहण के घटित होने के समय वृश्चिक राशि में सूर्य और चंद्रमा के अतिरिक्त बुध और केतु ग्रह विराजमान होंगे और राहु महाराज वृषभ राशि में होंगे। इसके अतिरिक्त मंगल महाराज तुला राशि में तथा शुक्र महाराज धनु राशि में होंगे। शनि महाराज अपनी ही राशि मकर में विराजमान रहेंगे तथा देव गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। इन सभी ग्रह स्थितियों का देश और दुनिया पर व्यापक रूप से प्रभाव दिखाई देगा क्योंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है इसलिए इसका कोई प्रत्यक्ष प्रभाव भारत पर दिखाई नहीं देगा लेकिन विश्व के अन्य देशों पर इसका प्रभाव दृष्टिगोचर होगा जिसके परिणाम स्वरूप अप्रत्यक्ष रूप से भारत देश भी प्रभावित हो सकता है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि यह सूर्य ग्रहण किस प्रकार के परिणाम दे सकता है या किन क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
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जोतिर्विद दैवज्ञ
पं. मनोज कृष्ण शास्त्री
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