कोलकाता : कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोलकाता के कई नामी-गिरामी क्लबों जैसे कलकत्ता स्वीमिंग क्लब, रॉयल कोलकाता क्लब, टॉली क्लब ने साल की समाप्ति पर 31 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम को रद्द करने का निर्णय किया है। बंगाल में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण 1 जनवरी को बंद रहेंगे दक्षिणेश्वर और बेलूर मठ तथा कई बड़े क्लबों ने रद्द किए नए साल के कार्यक्रम। बंगाल में अब कोरोना संक्रमण का असर दिखने लगा है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनदर दक्षिणेश्वर मंदिर में एक जनवरी को होने वाले कल्पतरू उत्सव के दिन आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसी तरह से रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय बेलूर मठ नये साल के पहले 4 दिन बंद रहेगा। कोरोना परिस्थितियों के बीच भीड़ से बचने के लिए ही ऐसा निर्णय लिया गया है। दूसरी ओर कोलकाता के कई नामी-गिरामी क्लबों जैसे कलकत्ता स्वीमिंग क्लब, रॉयल कोलकाता क्लब, टॉली क्लब ने साल की समाप्ति पर 31 दिसंबर होने वाले कार्यक्रम को रद्द करने का निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को कोरोना का आंकड़ा हजार से पार कर गया है।
ज्ञातव्य है कि साल के पहले दिन ही दक्षिणेश्वर में कल्पतरू उत्सव मनाया जाता है, जिस कारण इस दिन काफी संख्या में लोगों की भीड़ घूमने और मंदिरों में दर्शन पूजन करने उमड़ती है। सबसे अधिक दक्षिणेश्वर और बेलूड़ मठ जैसे स्थानों पर भीड़ होती है, लेकिन नये साल के पहले दिन बेलूड़ मठ इस बार बंद रहेगा। बेलूर मठ की ओर से मठ के महासचिव सुबीरानंद महाराज के जारी बयान में बताया गया है कि 1 से 4 जनवरी तक मठ बंद रहेगा। 5 जनवरी से फिर नियमों के अनुसार, दर्शनार्थियों को प्रवेशाधिकार दिया जाएगा। यहां उल्लेखनीय है कि गत 26 दिसम्बर को सारदा मां की जन्म तिथि के उपलक्ष्य में भक्तों व दर्शनार्थियों के लिए दिन में निर्दिष्ट समय के लिए बेलूड़ मठ खोला गया था। इस दिन लगभग 60 हजार लोग बेलूर मठ पहुंचे थे। बेलूर मठ की ओर से बताया गया कि 5 जनवरी से नियमों के अनुसार, सुबह 8 से 11 बजे तक और अपराह्न 3 से 5 बजे तक बेलूर मठ में पुण्यार्थी प्रवेश कर सकेंगे।
साल के पहले दिन 1 जनवरी को भक्तों और भक्तों के लिए भवतारिणी दक्षिणेश्वर मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। दक्षिणेश्वर काली मंदिर और देबोत्तर अटेस्ट ट्रस्टी काउंसिल के सचिव कुशल चौधरी ने बताया कि अगर मां की पूजा विधि-विधान से होंगे, लेकिन मां का दर्शन नहीं करने दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन के इस तरह के फैसले को जानकर श्रद्धालु निराश हैं। पिछले साल भी 1 जनवरी को कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे। श्रद्धालुओं के लिए कपाट बंद करने का फैसला साल के पहले दिन मंदिर में अत्यधिक भीड़ होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए लिया गया। हालांकि मंदिर के कपाट बंद होने पर भी नियमानुसार मां भवतारिणी की दैनिक पूजा के साथ-साथ रामकृष्ण परम हंसदेव के कक्ष और अन्य देवी-देवताओं की पूजा उस दिन होगी।