नई दिल्ली : एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद ही स्कूलों को खोला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीन उपलब्ध होने जाने के बाद स्कूल खुलने और बच्चों की बाहर की गतिविधियों के लिए भी रास्ता साफ होगा। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि बच्चों के लिए कोविड-19 टीकों की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाने के बाद स्कूल खुलने और उनके लिए बाहर की गतिविधियों का रास्ता साफ होगा। भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के दो से 18 साल आयुवर्ग के बच्चों पर किए गए दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों के सितंबर तक आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि औषधि नियामक की मंजूरी के बाद भारत में उस समय के आस-पास बच्चों के लिए टीके उपलब्ध हो सकते हैं। उन्होंने तीसरी लहर के ज्यादा खतरनाक होने की आशंका से भी इनकार किया।
डॉ. गुलेरिया ने शनिवार को को बताया कि ‘उससे पहले अगर फाइजर के टीके को मंजूरी मिल गई तो यह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है।’ सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला अपनी वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ को इमर्जेंसी यूज की इजाजत के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के सामने आवेदन कर सकती है। कंपनी का दावा है कि इसे वयस्कों और बच्चों दोनों को दिया जा सकता है।
डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘इसलिए अगर जायडस के टीके को मंजूरी मिलती है तो यह भी एक और विकल्प होगा।’ उन्होंने कहा कि बच्चों में हालांकि कोविड-19 संक्रमण के हल्के लक्षण होते हैं और कुछ में लक्षण भी नहीं होते, लेकिन वे संक्रमण के वाहक हो सकते हैं।
बीते डेढ़ साल में कोविड-19 महामारी के कारण पढ़ाई में हुए व्यापक नुकसान का हवाला देते हुए एम्स प्रमुख ने कहा, ‘स्कूलों को फिर से खोलना होगा और टीकाकरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’ उन्होंने कहा कि महामारी से उबरने का रास्ता टीकाकरण ही है।
सरकार ने हाल में चेताया था कि कोविड-19 ने अब तक भले ही बच्चों को बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं किया हो लेकिन अगर वायरस के व्यवहार या महामारी की गति में बदलाव आता है तो यह बढ़ सकता है। उसने कहा कि ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिये तैयारियां की जा रही है।