एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों से हटाए हिस्सों को लेकर विवाद

नयी दिल्ली। ‘जो लोग मानते थे भारत हिंदू धर्म के लोगों का देश होना चाहिए और भारत को बदला लेना चाहिए, वो लोग मोहनदास करमचंद गांधी को नापसंद करते करते थे।’ ‘देश से सांप्रदायिक हालात पर गांधी की मौत का बड़ा असर पड़ा। सरकार ने तेज़ी से सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले संगठनों के ख़िलाफ कार्रवाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को कुछ वक्त के लिए बैन कर दिया गया। ये वो हिस्से हैं, जो (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्) एनसीईआरटी कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में हुआ करते थे, लेकिन नई आई किताब से ये हिस्सा हटा दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस ने आज के अखबार में एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है, जिसमें लिखा गया गया है कि बीते 15 सालों से ये पाठ्यक्रम का हिस्सा था। अखबार के अनुसार, इतिहास की किताब से वो हिस्सा भी हटा दिया गया है, जिसमें गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को ‘पुणे का एक ब्राह्मण’ कहा गया था और उनकी पहचान एक कट्टरपंथी हिंदू अखबार के संपादक के रूप में की गई थी, जिनका मानना था कि गांधी मुसलमानों को ख़ुश करने की कोशिश कर रहे हैं।

अखबार लिखता है कि ये ग़ौर करने की बात है कि बीते साल जून में एनसीईआरटी ने आधिकारिक तौर पर जो पाठ्यक्रम जारी किया था उसमें ‘तर्कसंगत कंटेन्ट की लिस्ट में’ इन हिस्सों को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि ‘तर्कसंगत कंटेन्ट’ के आधार पर बनी जो ताजा छपी किताबें बाज़ार में आई हैं उनसे इन हिस्सों से जुड़े वाक्यों और संदर्भों को हटा दिया गया है।

कोविड महामारी के बाद बीते साल स्कूल खुले थे और बच्चों पर पाठ्यक्रम का अधिक दवाब न पड़े इसके लिए एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम के कुछ हिस्सों को हटा दिया था। इन बदलावों के बारे में स्कूलों को तो बताया ही गया था, साथ ही एनसीआईटी की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी दी गई थी। बीते साल वक्त कम होने के कारण नई किताबों की छपाई का काम नहीं हो सका था। ये नई किताबें साल 2023-24 के लिए अब छप कर अब बाज़ार में आ गई हैं।

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