कोलकाता: बीरभूम जिले के मशहूर विश्वभारती विश्वविद्यालय ने शांतिनिकेतन को विरासत स्थल के रूप में मिली यूनेस्को की मान्यता के संबंध में लगायी विवादित पट्टिकाओं को हटा दिया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। शांतिनिकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर ने 100 साल से अधिक समय पहले विश्व-भारती का निर्माण किया था। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने सितंबर में इसे विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय ने यूनेस्को की मान्यता के संबंध में तीन पट्टिकाएं लगायी थीं लेकिन उनमें टैगोर का नाम नहीं था और उनके बजाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन कुलपति विद्युत चक्रवर्ती का नाम था। मोदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।
इस घटना से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कई जानी-मानी हस्तियों ने पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए चक्रवर्ती की आलोचना की थी। विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बनर्जी ने बताया कि नयी पट्टिकाओं पर लिखे पाठ को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्वीकृति दी है और इसमें टैगोर के अलावा किसी और का उल्लेख नहीं है।
नयी पट्टिकाओं पर लिखा है, ‘‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1901 में ग्रामीण पश्चिम बंगाल में स्थापित शांतिनिकेतन भारत की शास्त्रीय परंपराओं में मजबूती से सीखने का और शिक्षा का एक उद्गम स्थल बन गया है।’’ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (तृणमूल) ने इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय परिसर के बाहर 14 दिनों तक धरना प्रदर्शन भी किया था।
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