भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच स्थाई मित्रता का जश्न मनाएं

भारत अमेरिका मैत्री – दुनियां के लिए एक अहम संदेश
वैश्विक चुनौतियों का मुक़ाबला और समृद्धि करने मिल बैठे चर्चा करेंगे दो यार भारत प्लस अमेरिका – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते रुतबे और कद में सफलता का एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है, क्योंकि हमारे माननीय पीएम के 21-24 जून 2023 तक अमेरिकी राजकीय दौरे पर होंगे। चूंकि पहली बार अमेरिका की अधिकृत यात्रा पर जा रहे हैं इसीलिए इसकी अहमियत और महत्व बहुत अधिक होगा जिसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम आने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इसके पहले 2009 में आखिरी राजकीय यात्रा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने की थी। अमेरिका आज एक विकसित देश है तो भारत ने भी कुछ वर्षों से अपनी ताकत रुतबा और शक्ति हर क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी कहावत की लाइन में बढ़ाई है। आज भारत की बौद्धिक क्षमता, डिजिटल, प्रौद्योगिकी, विज्ञान, स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा स्पेस इत्यादि अनेकों क्षेत्रों में विकसित देशों के समकक्ष होने की राह पर है। सबसे बड़ी बात विश्व की दोनों महाशक्तियों के साथ भारत के मधुर संबंध और सामंजस है।

इसके साथ ही भारत आज दुनियां की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो अमेरिका सबसे पुराना लोकतंत्र है जो सोने पर सुहागा साबित हो रहे हैं। आज अगर भारत अमेरिका की पक्की मैत्री, अमेरिकन इंडियन भाई-भाई की यात्रा शुरू हो गई है तो यह एक और एक ग्यारह वाली बात है। क्योंकि दोनों के पास अपनी-अपनी विशेषज्ञता और ताकत है जो एक साथ मिल जाए तो पूरी दुनिया में सुख समृद्धि स्वस्थ शांति बनाने की और महत्वपूर्ण कदम होंगे। यही बात है कि भारत अमेरिका के बीच स्थाई मैत्री का जश्न मनाया जा रहा है और यह सारी दुनियां के लिए एक अहम संदेश भी साबित होगा। इसकी प्रगाढ़ता का नया अध्याय 21-24 जून 2023 से शुरू होगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे। वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने और समृद्धि लाने, मिल बैठ चर्चा करेंगे दो यार भारत और अमेरिका।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम पीएम के 21-24 जून 2023 को अमेरिका राजकीय दौरे की खासियत की करें तो पीएम 22 जून को अमेरिकी संसद को संबोधित करने वाले हैं। पीएम अमेरिकी संसद के दोनों सदन-सीनेट और हाउस ऑफ प्रिपेजेंटेटिव को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। ये पहला मौका है, जब कोई प्रधानमंत्री अमेरिकी संसद को दो बार संबोधित करने जा रहे हैं। पीएम इससे पहले भी अमेरिकी संसद को संबोधित कर चुके हैं। अमेरिका और भारत के रिश्ते पिछले कुछ सालों में बहुत मजबूत हुए हैं। रक्षा से लेकर व्यापार तक के क्षेत्र में दोनों देश करीब आए हैं। दरअसल, सदन और सीनेट दोनों के द्विदलीय नेतृत्व के जरिए समर्थित यूएस हाउस स्पीकर ने पीएम को यूएस कांग्रेस को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया है। वह 22 जून को व्हाइट हाउस भी जाने वाले हैं। दरअसल, पीएम पहले कई मौकों पर अमेरिका का दौरा कर चुके हैं।

मगर ये पहला मौका है, जब वह राजकीय दौरे पर अमेरिका जा रहे हैं। पीएम को जो आमंत्रण भेजा गया है, उस पर सीनेट मेजोरिटी लीडर, सीनेट रिपब्लिकन लीडर और हाउस माइनॉरिटी लीडर ने भी साइन किया है। पीएम अमेरिका की संसद में भारत के भविष्य के लिए अपने विजन और अमेरिका-भारत द्वारा सामने किए जा रहे वैश्विक मुद्दों पर सांसदों को संबोधित करेंगे। भारतीय पीएम ने आखिरी बार 2016 में कांग्रेस के दोनों सदनों को संबोधित किया था। उनसे पहले मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिकी संसद को संबोधित किया है। केविन मैक्कार्थी की ओर से जारी शुक्रवार को संयुक्त बयान में कहा गया कि पीएम मोदी का अमेरिकी संसद को संबोधित करना हमारे लिए गर्व की बात होगी। दोनों देशों के बीच साझेदारी लगातार बढ़ रही है।

पीएम इस दौरान भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण और दोनों देशों के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों पर अपनी बात रखेंगे, इसे अमेरिका द्वारा विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक माना जाता है। हालांकि पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल में पहले भी कई बार अमेरिका का दौरा किया है, लेकिन 2014 में पद संभालने के बाद से यह उनकी पहली राजकीय यात्रा होगी। एक महीने में बाइडेन और मोदी के बीच यह चौथी मुलाकात होगी। इस यात्रा में 22 जून को एक राजकीय डिनर भी शामिल है। यह दूसरा मौका है जब पीएम मोदी अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। मालूम हो कि पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला विश्व के कुछ ऐसे नेता हैं जिन्हें दो अवसरों पर इस दुर्लभ सम्मान से सम्मानित किया गया है।

साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका मैत्री दुनियां के लिए अहम संदेश और अमेरिका में इसकी प्रतिक्रिया की करें तो अमेरिकी कांग्रेस नेताओं ने एक बयान में कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और यूनाइटेड स्टेट्स सीनेट के द्विदलीय नेतृत्व की ओर से, आपको (भारतीय पीएम) बृहस्पतिवार, 22 जून को कांग्रेस की एक संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करना हमारे लिए सम्मान की बात है। इन्होंने कहा कि हमारे साझा मूल्यों और वैश्विक शांति तथा समृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता के आधार पर हमारे दोनों देशों के बीच साझेदारी लगातार बढ़ रही है। संबोधन के दौरान, आपके पास भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करने और हमारे दोनों देशों की ओर से सामना की जाने वाली वैश्विक चुनौतियों पर बात करने का अवसर होगा।

बयान में कहा गया है कि यह संबोधन संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच स्थायी मित्रता का जश्न का अवसर होगा। सात साल पहले अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले मोदी पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री थे। मोदी के अलावा मनमोहन सिंह (19 जुलाई 2005), अटल बिहारी वाजपेयी (14 सितंबर 2000), पीवी नरसिम्हा राव (18 मई 1994) और राजीव गांधी (13 जुलाई 1985) संयुक्त सत्र को संबोधित कर चुके हैं। पीएम के सदन को संबोधित करने को लेकर अमेरिका का भारतीय मूल के सांसद और कई अन्य सांसद काफी उत्साहित हैं। पीएम को भेजे गए आमंत्रण पत्र में लिखा गया है कि अमेरिकी सदन के दोनों सदनों की तरफ से, यह हमारे लिए सम्मान की बात होगी कि आप 22 जून 2023 को सदन के संयुक्त सत्र को संबोधितकरें। पीएम के सदन को संबोधित करने को लेकर कई अमेरिकी सांसद उत्साहित हैं।

साथियों बात अगर हम पीएम की राजकीय यात्रा को देखते हुए 5 जून 2023 को भारत अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की बैठक की करें तो, भारतीय रक्षा मंत्री 5 जून को अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ बैठक कर बातचीत की। बैठक के दौरान औद्योगिक सहयोग पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। अमेरिकी रक्षा 4 जून को सिंगापुर से दो दिवसीय दौरे को पूरा करके भारत आए। यह उनकी दूसरी भारत यात्रा थी। वह पहली बार मार्च, 2021 में भारत की यात्रा पर आए थे। 21-24 जून में पीएम की अमेरिकी राजकीय यात्रा को देखते हुए उनकी इस यात्रा को अहम माना जा रहा है। उनकी नई दिल्ली यात्रा प्रमुख रूप से भारत अमेरिका के नए रक्षा नवाचार और औद्योगिक सहयोग की पहल को आगे बढ़ाने और अमेरिका एवं भारतीय सेनाओं के बीच परिचालन सहयोग का विस्तार करने के प्रयासों को जारी रखने पर केंद्रित हुई।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार/आंकड़े लेखक के है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three + eight =