अशोक वर्मा “हमदर्द” की कहानी : रिक्शावाला

अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। आज मंगरू चाचा रिक्शा चलाकर थक गए थे उन्हें चक्कर आ

डीपी सिंह की रचनाएं

प्रश्न है हर तरफ, जो निराधार है वंश का क्यों पिता से जुड़ा तार है,

भावनानी के भाव : नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर

।।नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर।। किशन सनमुखदास भावनानी ग्रामसभा, विधानसभा, सांसद लोकतंत्र के मंदिर

बांग्ला साहित्य में दलित चेतना विषयक विमर्श का आयोजन

कोलकाता। साहित्य अकादेमी के क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता द्वारा अपनी विशिष्ट कार्यक्रम शृंखला “दलित चेतना” के

महात्मा गांधी का हिंदी भाषा और नागरी लिपि के प्रसार में योगदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने विचार व्यक्त किया

दुनिया की सार्वदेशीय और विश्व की प्रथम लिपि है देवनागरी – प्रो. शर्मा उज्जैन। राष्ट्रीय

डीपी सिंह की रचनाएं

गन्दे होते हैं बहुत, बवासीर – से रोग असल दर्द होता कहीं, कहीं बताते लोग

भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं

।।अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं।। किशन सनमुखदास भावनानी जांबाजी और जज्बा दिखाकर बहुत दिलेरी

डीपी सिंह की रचनाएं

जिनसे उम्मीद थी, खाइयाँ पाटते रह गए वो वतन छाँटते-काटते बाँटते जातियों में किसी वर्ग

भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : उई मां मैं तो अब मर गया

।।उई मां मैं तो अब मर गया।। किशन सनमुख़दास भावनानी बड़ी मुश्किल से ईडी, सीबीआई

लाइब्रेरियन का पेशा काफी सम्मानीय होता है, युवा पीढ़ी इसके प्रति हो जागरुक- साहित्यिक भिखी प्रसाद वीरेंद्र

सिलिगुड़ी। लाइब्रेरियन एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न जानकारियों तक हमारी पहुँच प्रदान करने