10 दिवसीय कला कार्यशाला : रचनात्मकता के साथ साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने की पहल
फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी द्वारा वाश पेंटिंग, टेराकोट म्यूरल, राकू, छापा कला एवं पारंपरिक मुखौटा पर
अमिताभ अमित की कलम से : सच मे जमाना बदल गया है!
अमिताभ अमित, पटना। सच मे जमाना बदल गया है! ये नब्बे परसैंट से कम नंबर
विनय सिंह बैस की कलम से : “हमारा समर हॉलीडे”
नई दिल्ली। यह उन दिनों की बात है जब ‘हॉलीडे होमवर्क’ जैसी क्रूर प्रथा चलन
अर्थलाइन्स: म्यूरल्स पेंटिंग
वास्तुकला संकाय के छात्रों ने म्यूरल बनाकर याद किया संस्कृति एवं वास्तुकला के सुप्रसिद्ध वास्तुविद
विश्व कला दिवस पर भारतीय समकालीन कला पर व्याख्यान एवं कला छात्रों की कृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई
एक नया कला इतिहास लेखन समय की मांग है – जॉनी एम.एल. लखनऊ। “भारतीय कला
विनय सिंह बैस की कलम से : वर्तमान समय में फसलों की कटाई, मड़ाई का कार्य
रायबरेली। आधुनिक और भारी भरकम मशीनों वाले इस समय की तो खैर क्या ही बात
आम तो आम, गुठली बताए पिय का मुकाम!!!
रायबरेली। हमारे समाज में घर और बाहर का बंटवारा सदियों से यूं हो रखा है
श्री राम पुकार शर्मा की कलम से : ‘महुआ बीने सखि, चल भोर भिनसरिया’
हावड़ा । हाँ जी! महुआ चुनने के लिए उपयुक्त समय भोर-भिनसरिया का ही होता है,
उत्तर प्रदेश की भोजपुरी कला प्रदर्शित होगी बिहार में
उत्तर प्रदेश की दो लोककलाकार कुमुद सिंह की दो और वंदना श्रीवास्तव की दो भोजपुरी
समदर्शी पंडित : गीता के प्रकाश में विश्लेषण
बाल कृष्ण आशीष जी महाराज, कोलकाता। आज कल लोग जाति आधारित मोह में पड़े हुए