विनय सिंह बैस की कलम से…व्हिस्की और रम!!

नई दिल्ली । रम और व्हिस्की दोनों ही मादक पेय हैं। सामान्य भाषा में दोनों को ही ‘दारू’ कहा जाता है। लेकिन रम, गन्ने से प्राप्त शीरे के किण्वन (fermentation with yeast) के पश्चात प्राप्त घोल के आसवन से बनती है जबकि व्हिस्की जौ, गेंहू के अंंकुरण से प्राप्त माल्ट से बनती है।

रम अमूमन काले रंग की होती है जबकि व्हिस्की सुनहरे रंग की होती है। रम जरा सस्ती पड़ती है और इसको पीने के बाद हैंगओवर भी नहीं होता है इसलिए इसको (RUM- Regular Used Medicine) भी कहा जाता है। जबकि व्हिस्की महंगी पड़ती है इसलिए पार्टी ब्रांड है।

रम की तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में अक्सर इसका सेवन किया जाता है। व्हिस्की किसी भी मौसम में अकेले या दोस्तों के साथ बैठकर पी जा सकती है। रम तेजी से चढ़ती है और उतनी ही तेजी से उतर जाती है। जबकि व्हिस्की जरा आराम से चढ़ती है और फिर आराम से ही उतरती है।

सिविल में लोगों को दो भ्रम हैं-
1. पहला यह कि फौज में शराब मुफ्त में मिलती है।
और
2. दूसरा यह की फौज वाली दारू की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है, खूब चढ़ती है।

मेरे एक घनिष्ट रिश्तेदार जब भी मैं छुट्टी आता वह कैंटीन वाली दारू की डिमांड रख देते। चूंकि उनका मेरे ऊपर बड़ा स्नेह था इसलिए मैं उनकी बात न टालता। हालांकि मैं अक्सर उनके लिए रम ही ले जाता था क्योंकि रम प्लास्टिक की बोतल में आती है इसलिए रास्ते में उसके टूटने का डर नहीं रहता और जेब पर भारी भी नहीं पड़ती।

एक बार मैं गर्मी के मौसम में छुट्टी आया तो मुझे लगा कि रम देना ठीक न रहेगा। इसलिए मैंने ठीक-ठाक क्वालिटी की एक व्हिस्की बोतल अपने रिश्तेदार के लिए ले ली। उनके घर पहुंचने पर हमेशा की तरह मेरा खूब स्वागत हुआ। इस बार की दारू की बोतल का डिजाइन और रंग देख लकर वह बहुत खुश हुए । बोले:- “लगता है यह महंगी वाली है?”
मैंने कहा:-“हां यह अच्छी क्वालिटी की है।”

शाम को मीट का प्रोग्राम रखा गया। घर के पीछे की तरफ मिट्टी के चूल्हे और अलग रखे बर्तनों में मीट पकने लगा और साथ ही मेरे रिश्तेदार ने पैग लगाने शुरू कर दिए। जल्दी-जल्दी दो पैग पीने के बाद भी जब उनको नशा नहीं हुआ तो वह मुझसे बोले -: “दारू जरूर महंगी लाए हो लेकिन इसमें वह वाली बात नहीं है। चढ़ तो रही ही नहीं है।”

मैंने कहा- “यह व्हिस्की है। देर से चढ़ेगी। आप आराम से पीजिए।”
लेकिन उन्होंने मेरी बात अनसुनी कर दी। शायद उन्हें तुरंत ‘किक’ चाहिए थी। वह गटागट व्हिस्की पीते गए। कुछ ही देर बाद उनकी आवाज यहां तक कि उनका शरीर उनके नियंत्रण से बाहर होने लगा। जीभ लड़खड़ाने लगी और शरीर डगमगाने लगा।

बाद में जब सभी को मीट परोसा गया तो उन्होंने बमुश्किल दो रोटी खाई – एक मीट के साथ और एक जमीन की मिट्टी के साथ।

विनय सिंह बैस

विनय सिंह बैस
एयर वेटेरन

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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