Kolkata Hindi News, तारकेश कुमार ओझा, कोलकाता : पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के कर्मचारी, शिक्षक, शिक्षाकर्मी, डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी लंबे समय से महंगाई भत्ते (डीए) को लेकर संघर्षरत हैँ। केंद्र सरकार की तुलना में 40% बकाया है। एक तरफ महंगाई भत्ते की कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट की लंबी कार्यवाही में फंसी हुई है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार कर्मचारियों की इस मांग के प्रति उदासीन ही नहीं बल्कि इस मांग को मान भी नहीं रही है।
इस संदर्भ में बुधवार को कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर स्थित महाबोधि सोसाइटी हॉल में 17 संगठनों द्वारा ‘भत्ता और अभाव का अधिकार – पश्चिम बंगाल सरकार और न्यायालय’ शीर्षक से सेमिनार का आयोजन किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं डॉ. विनायक सेन अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण उपस्थित नहीं हो सके।
हालांकि आयोजन की सफलता की कामना करते हुए उन्होंने अपना शुभकामना संदेश भेजा था, जिसे बैठक में पढ़ा गया।प्रोफेसर चन्द्रशेखर चक्रवर्ती, प्रसिद्ध वकील पार्थसारथी सेनगुप्ता ने इसका पाठ किया। इस सेमिनार में राज्य के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संगठनों सहित राज्य सरकार के कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों, विश्वविद्यालय कर्मचारियों के 17 संगठनों के सदस्य उपस्थित थे।
सेमिनार के संयोजकों में से एक शुभाशीष दास ने कहा कि राज्य सरकार की इस कमी के कारण सरकारी कर्मचारी, डॉक्टर, नर्स और शिक्षक काफी वंचित हैं। इसके खिलाफ कानूनी तरीकों के साथ-साथ सड़क पर लड़ाई का आंदोलन उग्र गति से जारी रहेगा। 28 जनवरी को भारत सभा हॉल में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें आज के 17 संगठन और पश्चिम बंगाल के सरकारी कार्यालयों के कई अन्य संगठन शामिल होंगे।
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