कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को चुनावी शिकस्त देने में सफल तो नहीं हो सकी लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा नेतृत्व पर यह आरोप लगता रहा कि शीर्ष नेतृत्व भाजपा कार्यकर्ताओं और टीएमसी विरोधियों को स्थानीय नेताओं के भरोसे छोड़कर बंगाल से मुंह मोड़ लिया है और स्थानीय और राज्य स्तरीय नेता कार्यकर्ताओं से किनारा कर लिए हैं लेकिन ऐसा नहीं है। भाजपा नेतृत्व पश्चिम बंगाल में भगवा झंडा फहराने के लिए गंभीरता से विचार-मंथन में लगा है। भाजपा किसी भी कीमत पर बंगाल का किला फतह करना चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी पश्चिम बंगाल इकाई से कहा है कि पार्टी के दरवाजे टीएमसी कार्यकर्ताओं के लिए खुले रखें, नेताओं के लिए नहीं। कोलकाता के पास एक रिसॉर्ट में पिछले तीन दिनों में हुए ‘चिंतन शिविर’ में, भाजपा ने 2023 के पंचायत चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उनके रोडमैप पर चर्चा की और नए लोगों को भाजपा के दर्शन और विचारधारा के बारे में जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल प्रमुख सुकांत मजूमदार ने बैठक में कहा कि, “टीएमसी के ज्यादातर नेता भ्रष्ट हैं, इसलिए नेताओं को लेने का कोई मतलब नहीं है, हम टीएमसी के कार्यकर्ताओं को ले सकते हैं। विभिन्न कार्यकर्ता स्थानीय नेताओं और उनके राज्य के नेताओं के खिलाफ खुलेआम बगावत कर रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं से कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, बीजेपी को अब टीएमसी नेताओं को लेने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है।