बीरभूम हिंसा: मौत से पहले हिंसा पीड़ित महिला की गवाही सीबीआई के लिए अहम

कोलकाता। बीरभूम हिंसा बुरी तरह से जख्मी नाजेमा बीबी ने मौत से पहले सीबीआई के जांच अधिकारियों को अपनी गवाही दी है। सूत्रों के मुताबिक किन लोगों ने कैसे घर में मौत का तांडव मचाया था उन्होंने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने अपने बयान में ऐसी जानकारी दी है जो आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है। नाजेमा बीबी की सोमवार की सुबह मौत हो गई। नाजेमा को 65 प्रतिशत जली स्थिति में अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह बोगटूई नरसंहार की जीवित गवाह थी।

हाई कोर्ट के अधिवक्ता जयंत नारायण चïट्टोपाध्याय के मुताबिक किसी भी मामले में डाईंग डिक्लेरेशन (मौत से पहले दी गई गवाही) को सबसे अहम और पुख्ता सबूत माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 में मृत्यु के पहले बयान की ऐसी व्याख्या की गई है। अलीपुर कोर्ट में पूर्व मुख्य लोक अभियोजक राधाकांत मुखर्जी ने कहा कि प्रतिवादियों की जमानत याचिकाओं को खारिज करने और उन्हें हिरासत में रखने के लिए मौत से पहले की गवाही सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक है। अगर इस तरह के सबूत जांच एजेंसी के हाथ में हैं तो आरोपित के प्रभावशाली होने पर भी कोई छूट नहीं मिल सकती है।

रामपुरहाट की घटना में बीरभूम के पुलिस अधीक्षक नागेंद्र नाथ त्रिपाठी की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। वह पहले से ही सीबीआइ के निशाने पर है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ के जांच अधिकारी जल्द ही नागेंद्रनाथ त्रिपाठी को समन भेजेंगे। जांच अधिकारियों ने आज जिले के नलहाटी के थाना प्रभारी मनोज सिंह व दो पुलिसकर्मियों से अस्थायी कैंप में पूछताछ की। साथ ही मुख्य आरोपित अनारुल हुसैन समेत 9 आरोपितों से जांच अधिकारियों ने पूछताछ की है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में सीबीआइ ने दमकल विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया है, जो घटनास्थल पर मौजूद थे।

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