नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को कहा कि चक्रवात बिपारजॉय अगले 12 घंटों में ‘बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान’ में तब्दील होने वाला है। अगले 12 घंटों के दौरान बिपारजॉय के एक अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान में और तेज होने की आशंका है। इसके अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर-उत्तर पूर्व की ओर बढ़ने और फिर बाद के तीन दिनों के दौरान धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है। आईएमडी ने कहा कि अरब सागर के ऊपर ‘बिपारजॉय’ गोवा से लगभग 700 किमी, मुंबई से 620 किमी, पोरबंदर से 580 किमी और कराची (पाकिस्तान) से 890 किमी दूर था।
आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि सौराष्ट्र और कच्छ तटों के साथ-साथ, 10 जून को 35-45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है, और 11 जून को 40-50 किमी प्रति घंटे से 60 किमी प्रति घंटे तक बढ़ सकती है। 12 जून के दौरान 45-55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 65 किमी प्रति घंटे और 13 से 15 जून के दौरान 50-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तक बढ़ सकती है।
आईएमडी ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून शनिवार को केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों, पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी के अधिकांश हिस्सों और पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्सों में आगे बढ़ा है। आईएमडी ने यह भी कहा कि गुजरात के वलसाड और नवसारी जिलों के तटीय क्षेत्रों में बिपरजोय का प्रभाव अधिक है। मौसम विभाग ने मछुआरों को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए अगले कुछ दिनों तक अरब सागर में न जाने की सलाह दी है।
इसने उन लोगों से भी आग्रह किया है जो पहले से ही समुद्र में हैं, वे तुरंत तट पर लौट आएं। वलसाड के जिला प्रशासन ने सुरक्षा उपाय के तौर पर 14 जून तक पर्यटकों के लिए लोकप्रिय तीथल समुद्र तट को बंद कर दिया है। वलसाड के तहसीलदार टीसी पटेल ने कहा, हमने मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी है। उनके लिए शेल्टर बनाए गए हैं और हमने 14 जून तक तीथल बीच को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है।वलसाड के तहसीलदार टीसी पटेल ने कहा, हमने मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी है।
उनके लिए शेल्टर बनाए गए हैं और हमने 14 जून तक तीथल बीच को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है। इस बीच, भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) ने गुजरात के साथ-साथ दमन और दीव में मछुआरों, नाविकों और अन्य लोगों को सभी आवश्यक सावधानी और सुरक्षा उपाय करने की सलाह दी है। आईसीजी इकाइयां भी नियमित रूप से अपने जहाजों, विमानों और रडार स्टेशनों के माध्यम से समुद्र में जहाजों को सलाह भेजती रही हैं।