पटना । बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के दो महीने ही गुजरे हैं, लेकिन दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफा देने वाले दोनों सवर्ण वर्ग से आते हैं। ऐसी स्थिति में अब सरकार को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद कोटे के कार्तिकेय कुमार को जहां एक हत्या के मामले में आरोपी होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था, वहीं रविवार को राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। कार्तिकेय कुमार जहां भूमिहार समाज से आते है, वही सुधाकर सिंह राजपूत जाति से आते हैं।
भाजपा के नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि दो माह में टीम नीतीश का दूसरा विकेट गिरा है, इससे नीतीश कुमार की फजीहत बढ़नी तय है। इधर, कहा जा रहा है कि सुधाकर सिंह का इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव में लिया गया है। सुधाकर सिंह मंत्री बनने के बाद से ही विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर मुखर थे और उन्होंने अधिकारियों को चोरों की जमात तक बोल दिया था। इतना ही नहीं सिंह एक कैबिनेट की बैठक से भी निकल गए थे, जिससे सरकार की किरकिरी हुई थी।
इधर, राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी दो दिन पहले तेजस्वी यादव को 2023 तक मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। इससे भी जदयू की नाराजगी बढ़ी थी। जदयू की नाराजगी दूर करने के लिए राजद ने प्रवक्ताओं को कई मामले में चुप रहने तक के निर्देश दिए गए हैं। वैसे, राजद कोटे के दो सवर्ण मंत्रियों के इस्तीफा दिए जाने के बाद तेजस्वी के ए टू जेड समीकरण पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।
तेजस्वी यादव अपनी पार्टी राजद को मुस्लिम-यादव तक सीमित रखने के बजाय सभी वर्गों, जातियों, समाज की पार्टी बताते हुए ए-टू-जेड की पार्टी कहते रहे हैं, ऐसे में इस समीकरण पर प्रश्न खड़ा हुआ है। मोदी कहते हैं कि तेजस्वी प्रसाद यादव को अगले साल 2023 में मुख्यमंत्री बनाने की डील सार्वजनिक करने की कीमत जगदानंद को बेटे के मंत्री पद का बलिदान कर चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि दो महीने मे दो दागी मंत्रियों की विदाई के साथ राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और महत्वांकाक्षी नीतीश कुमार की फजीहत बढ़ने वाली है।