पटना : अखिल भारतीय पान/चौपाल/कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. संतोष दास पान ने कोलकाता हिंदी न्यूज़ के संवाददाता से बातचीत के दौरान कहां की बिहार में पंचायत चुनाव 2001 में मुखिया के 8471 पंचायतों में मात्र 143 मुखिया दलित थे। “नीतीश नीति” के कारण 2021 में 8072 पंचायतों के 2483 पंचायतों में मुखिया दलित है।
दलितों के लिए सशक्तिकरण का ऐसा सफल प्रयास न तो कांग्रेस कर सकीं और न ही लालू प्रसाद यादव से संभव हुआ।
इसके बावजूद भी यदि कोई दलित समाज का व्यक्ति कहता हैं कि नीतीश कुमार ने उनके लिए क्या किया तो उन्हें जवाब दीजिए कि नीतीश कुमार ने दो बार दलित को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिया।
एक बार दशरथ मांझी नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचे और अपनी कहानी बताया तो नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी पर बैठा कर उन्हें सम्मानित किया।
दूसरी बार सीएम की कुर्सी पर जीतनराम मांझी को बैठाया.. दोनों इतिहास में अमर हो गए।
एनडीए विरोधी दलित चाहे तो नीतीश कुमार कुछ नहीं किया, यह कहकर गालियाँ दे कर विरोध कर सकते हैं। पर सत्य यह हैं कि “बाबा साहेब के सपनों को जमीन पर उतारने के लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने किया है, तो दावे के साथ यह कह सकते हैं कि नीतीश कुमार जैसा समाजवादी ही सर्वोत्तम है। अतः कुशेश्वरस्थान एवं तारापुर विधानसभा उपचुनाव में दलित समाज एनडीए के दोनों ही प्रतियों को जीता कर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत करेगी।