कोरोनावायरस जैसे वैश्विक महामारी के चलते पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचना स्वाभाविक ही है।
और जहाँ तक मैं सोच रहा हूँ कि इस लॉकडाउन के बाद भारत की अर्थव्यस्था को बहुत लाभ होने वाला है। भारत का विकास दर विश्व के अन्य देशों के मुकाबले तेज होने वाला है। विश्व विरादरी का भारत में विश्वास बढ़ा है, इसका लाभ भारत को मिलेगा कारण चीन से यूरोपियन देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत का रुख करेगी। अतः कुछ तात्कालिक हानियों के उपरांत भी भारत अंततः लाभान्वित होगा। भारत के तीब्र उत्थान का मार्ग प्रशस्त होगा।
दवाईयों के निर्यात से भी कुछ डैमेज कंट्रोल होगा।
यूरोप, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड की कम्पनियाँ चीन से अपने कारखानों को समेट कर भारत की ओर उन्मुख होंगी। भारत के व्यवहार और तत्परता ने सबमें आशा का संचार किया है। अब भारत के सबसे पिछड़े राज्य बिहार के सामने भी कुदरत एक बहुत बड़ा मौका देने जा रहा है कि वह इन पूंजीपतियों को अपने मजदूरों के बल पर राज्य में आकर्षित करके बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर करें और यह एकमात्र तभी होगा जब बिहार के सभी नेताओं खासकर सत्ताधारी नेताओं व वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर संज्ञान लेगें तभी वह बिहारी जनता को सैकड़ों सालों से राज्य से बाहर दर-दर की ठोकरें खाने की मजबूरी से उबार पाएंगे तथा बिहार को फिर से उसके स्वर्णिम दिनों की ओर ले जाएंगे।
इसके लिए उन्हें कुछ सुधारात्मक कदम भी उठाने होंगे जैसे कि बिहार में जमीन अधिग्रहण की पेचीदगियों को दूर करना, यातायात की सुविधाओं को काफी बढ़ाना होगा कारण बिहार की सीमाएं चारों तरफ से जमीन से ही जुड़ी हुई है, समुद्री सीमा नहीं है जिससे माल की ढुलाई में खर्च बढ़ जाता है इसे पूरा करने के लिए औद्योगिक कॉरिडोर का निर्माण भी करना पड़ेगा। शराबबंदी में कुछ हद तक छूट देना जिससे कि टूरिस्ट और होटल व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा और आने वाले व्यवसायियों को भी सुविधा होगी।
इस प्रकार से बिहार को एक औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने का पूरा मौका है। उम्मीद है कि अब भारत की बहुसंख्यक जनता भी अधिक समझदार होकर सामने आएगी और अधिक अनुभवी व्यवहार के साथ देश के विकास में योगदान करेगी।
नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत हैं । इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।