भारतीय भाषा परिषद : डॉ. कुसुम खेमानी की 80 वर्षपूर्ति पर साहित्यिक अभिनंदन

कोलकाता। आज भारतीय भाषा परिषद के सभाकक्ष में वरिष्ठ कथाकार और परषिद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी का लेखकों और शिक्षाविदों द्वारा आत्मीय अभिनंदन किया गया। डॉ. कुसुम खेमानी ने अपने उपन्यास ‘लावण्य देवी’ से देश में चर्चित हुईं। भारतीय भाषा परिषद की वे प्राणवायु हैं। श्री प्रदीप चोपड़ ने कहा कि कुसुम खेमानी जी एक कर्मठ और दूरदृष्टि से संपन्न व्यक्तित्व हैं। उनके प्रयासों से भारतीय भाषा परिषद आज एक प्रतिष्ठित राष्ट्री संस्था हैं।

डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि डॉ.कुसुम खेमानी ने दुनिया के देशों की यात्रा की है और अपने अनुभवों से वे परिषद का कुशल संचालन कर रही हैं। उनकी सामाजिक और साहित्यिक शक्रियता संस्कृति के क्षेत्र में एक अनोखा उदाहरण है। उन्होंने कोलकाता के हिंदी जगत की दीप्तमान बना रखा है। सबसे पहले सुधा झुनझुनवाला और राजश्री शुक्ला ने संस्कृत श्लोक गाकर कुसुम जी को बधाई दी।

परिषद के वित्त मंत्री घनश्याम सुगला ने कहा कि कुसुम जी के बाताए राह पर आज भी परिषद चल रही है। बिमला पोद्दार ने कहा कि कुसुम जी ने हमेशा जीवन में हिम्मत बढ़ाया है। कवि अभिज्ञात ने कहा कि कोलकाता को साहित्यकार याद करे और कुसुम जी को याद न करे, ऐसा हो नहीं सकता।

वे नारी सशक्तिकरण पर लगातार लिखती रही हैं। रिटायर्ड कर्नल नरेंद्र सिंह ने कहा कि उनके साथ पिछले 40 वर्षों का संबंध रहा है। उनके साथ काम करना हमेशा प्रेरणास्पद रहा है। गीता दूबे ने उन्हें शतायु होने की कामाना दी। अल्पना नायक ने कहा कि कुसुम दीदी लंबे अर्से से हमारे अंदर छाई हुई हैं। वे हम महिलाओं के लिए गौरव हैं। अवधेश प्रसाद सिंह ने उन्हें मोहक व्यक्तित्व का स्वामी बताया।

आई पी टांटिया ने कहा कि कुसुम दीदी से इतना प्रेम और स्नेह मिला जितना कि अपनी सगी बहन से भी नहीं मिलता। मंजु श्रीवास्तव, मंजु श्रीवास्तव, सेराज खान बातिश, राजश्रीशुक्ला, मधु सिंह ने भी कुसुम जी को 80 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। परिषद से सभी कर्मचारियों ने भी उन्हें बधाई दी। अंत में डॉ.कुसुम खेमानी ने सबके प्रति आभार प्रकट किया।

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