भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान जीवन्त जीवन काल में देना सर्वोच्च उत्तम निर्णय
लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजनें का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में भारत की प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई है कि जहां भारत में होने वाला सामाजिक औद्योगिक धार्मिक राजनीतिक सांस्कृतिक जैसे अनेक क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर बारीक नजर रखी जा रही है तो वहीं भारत में सर्वोच्च पुरस्कारों पदमश्री, पदम विभूषण, अर्जुन पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों के साथ भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न पर भी दुनियां की नजरे रहती है, क्योंकि अब दुनियां को समझ में आ गया हैं कि, भारत जब बोलता है तो दुनियां ध्यान से सुनती है। यही भारत है कि जब दिनांक 3 फरवरी 2024 को माननीय पीएम द्वारा मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सुबह श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देने के निर्णय की बात साझा की गई तो यह खुशखबरी जंगल में आग की तरह पूरी दुनियां में तेजी से फैल गई और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से बधाईयों का तांता सा लग गया जो दिन भर चलता रहा और देखते-देखते लोगों में खुशी की चमक दिखने लगी। टीवी चैनलों पर मैंने स्वयं देखा की 13 से अधिक केंद्रीय मंत्रियों सहित अनेक सम्मानिय व्यक्तित्वो ने स्वयं इंटरव्यू में आडवाणी जी को बधाइयां दी उनकी शान में चार शब्द बोले, जिसे आडवाणी जी ने देर शाम स्वीकार कर खुशी जाहिर की।
मेरा मानना है कि यह सही समय पर सही काम हुआ क्योंकि मैं यह मानता हूं कि भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जाता है तो उसे जीवंत समय में मिलना चाहिए, जो इससे बड़ी खुशी की बात उसके लिए नहीं हो सकती क्योंकि उनके द्वारा दी गई सेवाओं का यह जीवंत उदाहरण बनेगा। जबकि मरणोपरांत सम्मान पर उस ब्रह्मलीन व्यक्ति को तो उसकी सेवाओं का सम्मान प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिलेगा और मरणोपरांत मिला है तो सवाल उठता है कि उनकी सेवाओं का मूल्यांकन पहले से ही क्यों नहीं किया गया, क्योंकि उसने जो भी किया अपने जीवन काल में ही किया तो सम्मान का हकदार भी उसके जीवन काल में ही होना चाहिए था इस बात को रेखांकित करना जरूरी है जिसे आगे ध्यान में रखा जाने की जरूरत है। माननीय कर्पूरी ठाकुर को भी उनके जीवन के काल में यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला रहता तो बात कुछ और थी। चूंकि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न सम्मान सही समय पर सही निर्णय है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजनें का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था।
साथियों बात अगर हम इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान की जानकारी माननीय पीएम द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर देने की करें तो उन्होंने कहा, मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।
साथियों बात अगर हम लालकृष्ण आडवाणी के बारे में जानने की करें तो, लालकृष्ण आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। इससे पहले वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में गृहमंत्री रह चुके हैं। वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2015 में उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। आडवाणी जी अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा रथ यात्राएं निकाल चुके हैं। जिनमें राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा और भारत सुरक्षा यात्रा जनचेतना यात्रा प्रमुख हैं। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया।
साथियों बात अगर हम भारत रत्न पुरस्कार के बारे में जानने की करें तो, भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह सम्मान 2 जनवरी 1954 को शुरू किया गया था। तब से यह सम्मान ‘मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र’ में योगदान के लिए 26 जनवरी को दिया जाता है। भारत रत्न के लिए सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती हैं। इसमें प्रति वर्ष अधिकतम 3 व्यक्तियों को पुरस्कार देने का प्रावधान है। सम्मानित व्यक्ति को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (सर्टिफिकेट) और एक पीपल के पत्ते के आकार का पदक मिलता है। यह सम्मान 13 जुलाई 1977 से 26 जनवरी 1980 तक निलंबित भी किया गया था।
साथियों बात अगर हम लालकृष्ण आडवाणी जी के बारे में बातें जानने की करें तो…
(1) आडवाणी ने कराची में स्कूल सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की है।
(2) 1947 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सचिव बने थे।
(3)1970 में पहली बार आडवाणी राज्यसभा के सांसद बने थे।
(4) आडवाणी एक फिल्म समीक्षक रह चुके हैं। उन्हें चॉकलेट, फिल्मों और क्रिकेट का बहुत शौक है।
(5) 1944 में उन्होंने कराची के मॉडल हाईस्कूल में एक अध्यापक के तौर पर नौकरी की थी।
(6) आडवाणी ने एक किताब लिखी है जिसका नाम- माई कंट्री, माई लाइफ है।
(7) सभी को चौंकाते हुए 2013 में उन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
(8)1980 में भारतीय जनता पार्टी बनने के बाद से उन्होंने सबसे ज्यादा समय तक पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला था।
(9) आडवाणी अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा रथ यात्राएं निकाल चुके हैं। जिनमें राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा और भारत सुरक्षा यात्रा जनचेतना यात्रा’ प्रमुख हैं।
साथियों बात अगर हम आज तक भारत रत्न सम्मान पानें वाली हस्तियों की सूची की करें तो, भारत रत्न से सम्मानित हस्तियों की सूची- लालकृष्ण आडवाणी (2024), कर्पूरी ठाकुर (2024), प्रणब मुखर्जी (2019), भूपेन हजारिका (2019), नानाजी देशमुख (2019), मदन मोहन मालवीय (2015), अटल बिहारी वाजपेयी (2015), सचिन तेंदुलकर (2014), सीएनआर राव (2014), पंडित भीमसेन जोशी (2008), लता दीनानाथ मंगेशकर (2001), उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001), प्रो. अमर्त्य सेन (1999), लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (1999), लोकनायक जयप्रकाश नारायण (1999), पंडित रविशंकर (1999), चिदंबरम सुब्रमण्यम (1998), मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी (1998), डॉ. अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (1997), अरुणा आसफ अली (1997), गुलजारी लाल नंदा (1997), जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (1992), मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (1992), सत्यजीत रे (1992), राजीव गांधी (1991), सरदार वल्लभभाई पटेल (1991), डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (1990), डॉ. नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला (1990), मरुदुर गोपालन रामचंद्रन (1988), खान अब्दुल गफ्फार खान (1987), आचार्य विनोबा भावे (1983), मदर टेरेसा (1980), कुमारस्वामी कामराज (1976), वराहगिरी वेंकट गिरी (1975), इंदिरा गांधी (1971), लाल बहादुर शास्त्री (1966), डॉ. पांडुरंग वामन केन (1963), डॉ. जाकिर हुसैन (1963), डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962), डॉ. बिधान चंद्र रॉय (1961), पुरुषोत्तम दास टंडन (1961), डॉ. धोंडे केशव कर्वे (1958), पं गोविंद बल्लभ पंत (1957), डॉ. भगवान दास (1955), जवाहरलाल नेहरू (1955), डॉ. मोक्षगुंडम विवेस्वराय (1955), चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954), डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन (1954), डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954)
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान- यही समय सही समय। भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान जीवन्त जीवन काल में देना सर्वोच्च उत्तम निर्णय।लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजनें का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था।
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