कोलकाता। पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए प्रत्येक जिले के लिए केंद्रीय सशस्त्र बल की सिर्फ एक कंपनी की मांग भेजी है। एसईसी की ओर से यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय द्वारा मंगलवार को ग्रामीण नागरिक निकाय चुनावों के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के कलकत्ता उच्च न्यायालय के पहले के आदेश को बरकरार रखने के बाद हुई।
शीर्ष अदालत के आदेश के बाद विपक्षी दलों ने एसईसी की मांग को छलावा बताया है। विपक्षी दलों ने बताया है कि 63,229 पंचायत सीटों, 9,730 पंचायत समिति सीटों और 928 जिला परिषद सीटों के लिए 61,636 मतदान केंद्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसईसी द्वारा मांगी गई केंद्रीय बलों की संख्या बहुत कम है।
सेवानिवृत्त एडीजीपी नजरुल इस्लाम ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की एक कंपनी में लगभग 100 कर्मचारी हैं, जिनमें से लगभग 75 ग्राउंड ऑपरेशन स्टाफ हैं, जबकि शेष सहायक कर्मचारी जैसे रेडियो ऑपरेटर, रसोई सहायक और सफाई सहायक हैं। एक जिले में केवल 75 कर्मी ही तैनात रहेंगे।
साल 2013 में पंचायत चुनावों के दौरान तत्कालीन राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडे ने केंद्रीय बलों की तैनाती पर जोर दिया था और प्रत्येक जिले में औसतन 3,500 कर्मियों को तैनात किया गया था, जो इस बार एसईसी की जरूरत के विपरीत है।
विपक्षी दलों ने ताजा घटनाक्रम को शीर्ष अदालत के आदेश का घोर अपमान करार दिया, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया गया था।
बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एसईसी राज्य सरकार के निर्देशानुसार काम कर रही है और पूरी चुनाव प्रक्रिया का मजाक बना रही है। चौधरी ने संकेत दिया कि इस मामले में वह अदालत का रुख कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब जो होगा वह अदालत में होगा। माकपा के राज्यसभा सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि प्रत्येक जिले के लिए सिर्फ एक कंपनी की मांग इस बात का सबूत है कि न तो राज्य सरकार और न ही एसईसी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए गंभीर है।