Kolkata Hindi News, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप कुमार मजूमदार ने सामाजिक और व्यावहारिक चिंताओं का हवाला देते हुए नवंबर के बाद संग्रहीत अतिरिक्त आलू स्टॉक की जबरन नीलामी की मांग को खारिज कर दी।
यह निर्णय आलू उत्पादकों और शीत भंडारगृह मालिकों के बीच विवाद के बीच आया है, क्योंकि किसान अक्सर नवंबर की समय सीमा तक अपना स्टॉक खाली करने में विफल रहते हैं, जिसके कारण जनवरी तक समय सीमा का विस्तार करना पड़ता है।
पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ने पहले मौजूदा स्टॉक को खाली करने और आगामी फसल (जनवरी-फरवरी) के लिए भंडारण की सुविधा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की वकालत की थी, जिसमें कुछ लोगों ने जबरन नीलामी का सुझाव दिया था।
मजूमदार ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा जबरन नीलामी न तो व्यावहारिक है और न ही संभव है। उन्होंने कोल्ड स्टोरेज मालिकों से ऐसे समाधान तैयार करने का आग्रह किया जो किसानों और भंडारण परिचालकों दोनों के लिए उपयुक्त हों।
इसके अलावा मजूमदार ने शीत भंडारगृह मालिकों से उच्च भंडारण शुल्क की अपनी मांगों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए इसके अध्यक्ष राजेश कुमार बंसल ने सरकार से एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुसार कोल्ड स्टोरेज किराये को संशोधित कर 190- 194 रुपये प्रति क्विंटल करने का अनुरोध किया।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016 से किराये को संशोधित नहीं किया है, जिससे यह पड़ोसी राज्यों (230-270 रुपये प्रति क्विंटल) की तुलना में काफी कम हो गया है।
बंसल ने इस सीजन में आलू की खेती में पर्याप्त वृद्धि (4.6 लाख हेक्टेयर से अधिक) को रेखांकित किया और अनुमान लगाया कि कुल उत्पादन 110 लाख टन होगा, जो राज्य की घरेलू खपत 65 लाख टन से अधिक है।
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