Bengal: माओवादी समस्या पर अमित शाह की बैठक में शामिल नहीं होगी ममता बनर्जी, मुख्य सचिव होंगे शामिल

Kolkata: माओवादी समस्या को लेकर अमित शाह की बैठक में शामिल नहीं होगी ममता बनर्जी, राज्य के मुख्य सचिव होंगे बैठक में शामिल।
भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल उम्मीदवार ममता बनर्जी चुनावी व्यस्तता के कारण माओवादी समस्या पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगी।

माओवाद की समस्या को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने की जानकारी उन्होंने दे दी है। सूत्रों के मुताबिक राज्य के मुख्य सचिव रविवार सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गये हैं। बैठक में शामिल होने के बाद उनका रविवार शाम कोलकाता लौटने का कार्यक्रम है।

राज्य की ओर से मुख्य सचिव एचके द्विवेदी प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बैठक में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। उल्लेखनीय है कि 10 राज्यों के मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि आज दिल्ली के विज्ञान भवन में वामपंथी उग्रवाद पर होने वाली एक बैठक में हिस्सा लेंगे। नक्सल गतिविधियों पर चर्चा के लिए हर साल केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक होती है, लेकिन इस बार सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि बैठक में डीजी और मुख्य पुलिस सचिव के साथ राज्य सुरक्षा में तैनात अर्धसैनिक बलों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं।

बैठक में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हिस्सा नहीं ले रही हैं। पश्चिम बंगाल की ओर से उनकी जगह राज्य के मुख्य सचिव मौजूद हैं। केंद्र के साथ राज्य में माओवादी गतिविधियों को रोकने में राज्य सरकार की भूमिका, माओवादियों को वापस मुख्यधारा में लाने के तृणमूल सरकार के प्रयासों, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को रोजगार देने के बारे में साझा कर सकते हैं। यदि यह कहने का अवसर मिलता है कि राज्य ने माओवादी समस्या पर क्या भूमिका निभाई है, तो राज्य कहेगा।

सूत्रों के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को नौकरी देने से लेकर राज्य कई मुद्दों को रिपोर्ट पेश किया जाएगा। प्रशासन का दावा है कि बांकुड़ा, पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर और बीरभूम के कुछ हिस्सों को पहले सबसे ज्यादा प्रभावित माओवादी क्षेत्रों के रूप में जाना जाता था, लेकिन तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद से समस्या कम हो गई है। इन क्षेत्रों को केंद्र की अति-प्रभावित माओवादी क्षेत्रों की सूची से हटा दिया गया है। क्योंकि कई वर्षों से कोई घटना नहीं हुई है, हालांकि हाल के दिनों में पुरुलिया के कुछ इलाकों में माओवादियों के पोस्टर मिले हैं।

ज्ञातव्य हो कि 30 सितंबर को भवानीपुर में होने वाले उपचुनाव के प्रचार की आखिरी तारीख 27 सितंबर है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक के लिए मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगी तो उन्हें प्रचार के आखिरी चरण में एक-दो दिन बर्बाद हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि तृणमूल सुप्रीमो ऐसा करने के लिए राजी नहीं हैं। ममता बनर्जी के लिए यह उपचुनाव जीतना जरूरी है, क्योंकि यदि वह चुनाव हार जाती हैं, तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाएगी।

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