#Bengal : नंदीग्राम मामले से जस्टिस कौशिक चंदा ने खुद को किया अलग

Kolkata Desk : कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) के नंदीग्राम (Nandigram) विधानसभा चुनाव के नतीजे को चुनौती देने वाली याचिका से कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश कौशिक चंदा (Kaushik Chanda) ने खुद को अलग कर लिया है और इसके साथ ही न्याय व्यवस्था को कलंकित करने का आरोप लगाते हुए सीएम ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक याचिका पर आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. सीएम ममता ने नंदीग्राम विधानसभा चुनाव के नतीजे को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सीएम के वकील अभिषेक मनु सिंहवी (Abhishek Manu Singhvi) ने दलीलें पेश की थी और हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले सिंहवी ने कोर्ट में तर्क दिया कि सुनवाई में पक्षपात हो सकता है, क्योंकि उनके (जस्टिस चंदा) के बीजेपी नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध है। इस पूर्वाग्रह को लेकर याचिकाकर्ता के मन में शंका होगी। इस फैसले पर बीजेपी के केंद्रीय सह प्रभारी अरविंद मालवीय ने ट्वीट किया है।

न्यायाधीश ने कहा कि उनके बारे में कहा गया है कि उनका एक राजनीतिक दल से संबंध है। इस देश में किसी के लिए भी राजनीतिक विकल्प न होना लगभग असंभव है। न्याय उसका विकल्प भी नहीं हो सकता है. अगर कोई व्यक्ति किसी पार्टी का है, तो ऐसा नहीं है कि वह उस पार्टी पर मुकदमा नहीं करेगा। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई कारण हो सकता है।

कोई इसका दावा करता है कि तक जज पक्षपातपूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा सिंघवी खुद 2017 में राज्यसभा सदस्य हैं। वह खुद बीजेपी के कार्यक्रम में गए थे। उन्होंने उन्हें ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था को कलुषित करने के लिए ममता बनर्जी को 5 लाख रुपये देने होंगे. यह राशि वकीलों के कोविड फंड में जाएगा।

ममता बनर्जी ने जस्टिस चंद के बेंच से मामला हटाने की मांग की थी : बता दें कि ममता बनर्जी पक्ष ने याचिका दाखिल कर मामले में जस्टिस चंदा को हटाने की मांग की थी। इसी याचिका के संबंध में जस्टिस कौशिक चंदा की सिंगल बेंच अपना फैसला सुनाया. मालूम हो कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से शुभेंदु अधिकारी की जीत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे अपने खिलाफ पूर्वाग्रह से बचने के लिए चुनाव याचिका किसी अन्य जस्टिस (जस्टिस कौसिक चंदा के अलावा) को सौंपने का आग्रह किया था।

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