बंगाल के राज्यपाल और सीएम फिर आमने सामने

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को जहां ममती बनर्जी ने राज्यपाल पर फाइलों का समय पर निस्तारण नहीं करने का आरोप लगाया था। इसके बाद राज्यपाल ने ममता बनर्जी पर ट्विटर पर उन्हें ब्लॉक करने का आरोप लगाया था। अब इस टकराव ने नया मोड़ ले लिया है। कोलकाता के राजभवन से एक प्रेस नोट जारी करके कहा गया है कि राज्यपाल के पास बिल या नियुक्ति से संबंधित कोई भी फाइल लंबित नहीं है। साथ ही बजट के लिए भेजी गई फाइल को भी वापस भेज दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने का बात सामने आ रही है। हालांकि, स्थिति यह है कि 23 फरवरी तक राज्यपाल के पास राजभवन में ऐसी कोई भी सिफारिश नहीं आई है और सत्र बुलाने की सिफारिश मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि कैबिनेट की ओर से ही की जाती है। 21 फरवरी 2022 को बजट के लिए जो फाइल भेजी गई थी, उसे भी वापस भेजा जा रहा है, क्योंकि उन पर संवैधानिक रूप से तभी विचार किया जा सकता है जब पश्चिम बंगाल राज्य विधानमंडल को समन करते हुए एक नोटिफिकेशन भेजा जाए जो नियम 3(ए) के हिसाब से हो।

प्रेस नोट में आगे कहा गया है कि मुख्यमंत्री के हवाले से सार्वजनिक डोमेन और मीडिया में गलत जानकारी दी जा रही है। इसमें कहा जा रहा है कि राजभवन अनावश्य रूप से कामों में लेटलतीफी कर रहा है और फाइलों को लंबित रखकर राज्यपाल भी राज्य सरकार के कामों में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं। आधिकारिक रूप से यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस समय राज्यपाल के पास बिल या नियुक्ति को लेकर की भी फाइल लंबित नहीं है।

वहीं, धनखड़ ने कहा कि राज्य विधानसभा को आहूत करने के लिए उन्हें अभी तक मंत्रिमंडल से अनिवार्य सुझाव नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा आहूत होने के बाद ही उन पर विचार किया जा सकता है और एक अधिसूचना जारी की जाती है। आप किसी प्रक्रिया को उल्टा नहीं चला सकते। विधानसभा का सत्र सात मार्च को शुरू होने की संभावना है और अगले दिन राज्य का बजट सदन में पेश किया जा सकता है। राज्य में 108 नगर निकायों के चुनाव के चलते बजट सत्र एक महीने के लिए टल गया था।

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