कोलकाता। विपक्ष लंबे समय से बंगाल के पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहा है। इसको लेकर हाई कोर्ट में केस दायर किया गया है। कोर्ट ने यह फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा है।प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, जहां राज्य सरकार अभी तक केंद्रीय बलों पर सहमत नहीं हुई है, वहीं कई अन्य राज्यों से सशस्त्र पुलिस की मांग की जा चुकी है।
राज्य सरकार ने आज शनिवार से पुलिस कर्मियों का अवकाश रद्द कर दिया है।
राज्य के मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी और राज्य के पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के साथ बैठक की। इसमें निर्णय लिया गया कि सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी जाएंगी और केवल अति आवश्यक कार्य होने पर ही छुट्टी मंजूर होगी। सूत्रों के मुताबिक उस बैठक में आयोग ने पर्याप्त सुरक्षा बल सुनिश्चित करने को कहा है।
राज्य के मुताबिक शुरुआती रूपरेखा में सभी बूथों पर सशस्त्र बल मुहैया कराने की योजना है। हालांकि, शीर्ष नौकरशाहों ने आयोग को बताया है कि केंद्रीय बलों को तैनात करने की तत्काल कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर सरकार दूसरे राज्यों से बल लाने की तैयारी कर रही है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक बिहार, ओडिशा, झारखंड जैसे राज्यों से फोर्स बुलाए जा सकते हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘कौन से राज्य सहमत हैं, इसे पहले देखा जाना चाहिए। पंचायत चुनावों में राज्य पुलिस और कोलकाता पुलिस की कोर स्ट्रेंथ का कितना इस्तेमाल किया जा सकता है, इसका पता लगाने के लिए सर्वे चल रहा है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में मामला साफ हो जाएगा।”
आयोग के सूत्रों के मुताबिक, जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को प्रभावित इलाकों या संवेदनशील बूथों की पहचान करने को कहा गया है। अभी तक, योजना उन क्षेत्रों में अन्य राज्यों से पुलिस बल का उपयोग करने की है। या आयोग सभी बूथों को संवेदनशील मानकर योजना बना सकता है। हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने पहले ही चुनाव प्रचार के दौरान बाइक जुलूस पर रोक लगा दी है। उनका लिखित संदेश सभी जिलाधिकारियों को भेज दिया गया है।