कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका में लगाए गए इस आरोप का खंडन किया कि राज्य में दुर्गा पूजा आयोजकों को दिए गए अनुदान का उद्देश्य गैर आवश्यक या मनोरंजन नहीं था। एक हलफनामे में, राज्य ने याचिकाकर्ता के इस आरोप का भी खंडन किया कि वह उच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ते (डीए) का भुगतान करने की अनिच्छुक है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रत्येक सामुदायिक दुर्गा पूजा आयोजक को पिछले बार के 50 हजार रुपये के अनुदान के मुकाबले इस बार 60,000 रुपये की राशि देने की घोषणा की है। उनके इस फैसले को जनहित याचिका में चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने जानकारी दी कि राज्यकर्मियों की किसी भी प्रकार की राशि लंबित या देय नहीं है।
साथ ही, कहा कि डीए के फैसले की समीक्षा के लिए एक आवेदन अदालत के समक्ष दायर किया गया है। सरकार ने पीठ के समक्ष दावा किया कि पूजा आयोजकों को अनुदान और राज्य सरकार के कर्मचारियों को बकाया डीए का भुगतान दोनों मुद्दे पूरी तरह से अलग हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर श्रीवास्तव भी शामिल हैं।