कोलकाता। पश्चिम बंगाल में निवेश जुटाने के लिए आयोजित ‘बंगाल वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन’ का समापन बुधवार को हो गया है। दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन में सबसे अधिक निवेश प्रस्ताव हेल्थ सेक्टर में मिले हैं। राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि सम्मेलन में घोषित कुछ प्रमुख निवेश प्रस्तावों में आईटी और आईटीईएस क्षेत्र में 4,000 करोड़ रुपये, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में 1,314 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 7,933 करोड़ रुपये और फॉस्फेटिक उर्वरक संयंत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल हैं।
कुल 3.76 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए और 188 एमओयू एवं आशय पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए भी यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा, ”शिखर सम्मेलन के दौरान कई क्षेत्रों में 3.76 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। कुल मिलाकर 188 समझौता ज्ञापन (एमओयू) और आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।”
उक्त अधिकारी ने बताया कि इस वार्षिक सम्मेलन के पिछले संस्करण में 3.42 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए थे। सम्मेलन के सातवें संस्करण की शुरुआत मंगलवार को हुई थी। उद्घाटन सत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आरपीजी समूह के संजीव गोयनका और विप्रो के रिशद प्रेमजी समेत कई कारोबारी दिग्गज शामिल हुए थे।
उन्होंने पश्चिम बंगाल के आने वाले दिनों में आर्थिक महाशक्ति बनने का भरोसा जताते हुए कहा कि कारोबारी सुगमता, कौशल विकास और एमएसएमई के मामले में राज्य शीर्ष पर है। बनर्जी ने कहा कि जिस समय देश का रोजगार दर 40 प्रतिशत घट रही है वहीं पश्चिम बंगाल में रोजगार 42 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ”हमारी वृद्धि आसमान छू रही है।” उन्होंने केंद्र की तरफ से नकदीरहित (कैशलेस) अर्थव्यवस्था पर जोर दिए जाने पर कहा, ”कैशलेस अर्थव्यवस्था से रोजगार नहीं पैदा हो सकता है। यह लघु उद्योग है जो ऐसा करता है।” उन्होंने लघु उद्योग क्षेत्र की वकालत करते हुए कहा, ”छोटा सुंदर है। यह लघु उद्योग क्षेत्र ही है जो रोजगार पैदा करता है।
गांव राज्य के विकास के केंद्र हैं। अकेले चमड़ा उद्योग ने राज्य में 10 लाख नौकरियां पैदा की हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को मिलकर जनता के विकास के लिए काम करना चाहिए। बंगाल एकता में विविधता को दर्शाता है और यहां सांप्रदायिक सद्भाव है। उल्लेखनीय है कि इस व्यापार सम्मेलन में देश की दिग्गज कंपनियों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जापान, जर्मनी और फ्रांस सहित 35 देशों की सैकड़ों कंपनियां भी शामिल हुईं।