श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ । वरिष्ठ नागरिक होना मतलब जीवन के ऐसे हिस्से में प्रवेश करना है, जहां हर कोई प्रवेश नहीं कर पाता। अर्थात इस हिस्से को जीने का सौभाग्य हर किसी को नसीब नहीं होता। इसलिए ये सुनहरा अवसर है जो आपको मिला है। अब यदि आप यह सोचना बंद कर देंगे कि मेरे बाद इसका क्या होगा, उसका क्या होगा, कैसे होगा तो ही जिंदगी के इस हिस्से को सुकून से जी पाएंगे, आनंद ले पाएंगे। वर्ना आप जीवन भर क्या होगा, कैसे होगा के इसी चक्करघिन्नी में घूमते रह जाएंगे। हम सबने अब तक अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभा दी हैं।
हमें नहीं भूलना है कि हम सब वह पारी खेल रहे हैं जिसके बाद पेवेलियन लौट जाना है। इसके बाद हम सिर्फ दीवार पर ही लटके नजर आएंगे। अब भी आप जिनके लिए सब सोच-सोच कर दुबले हुए जा रहे हैं तो यह भी जान लीजिए कि उन्होंने भी सोच रखा है कि मैं ये करूंगा, ये भी करूंगा। ऐसा करूंगा, वैसा भी करूंगा। जिसमें हम-आप कहीं नहीं होंगे। (यहां अपवाद की बात नहीं हो रही है) जो भी है, जैसा भी है बस सांसों के रुकने तक का किस्सा है जीवन। यह मैं कोई नई या अजानी बात नहीं कर रहा हूं। बस दोहरा भर रहा हूं।
इसलिए जीवन के पल-पल को खुलकर जिएं, हर्षोल्लास के साथ जिएं। अब आपकी प्राथमिकता में पहले नंबर पर स्वास्थ्य रहना चाहिए। स्वस्थ रहने पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। फिर जिस व्यंजन में आपकी रुचि हो अवश्य उसका आनंद लें। आपका शरीर इजाजत देता है और आप कही सैर को जाना चाहते हैं, अवश्य जाइए। हो सके तो उनसे अवश्य मिले, भेंट करें; जो दिल से चाहते हैं कि आप उनसे मिलें। फोन पर बतियायें। तरह-तरह के नए पोशाक पहनें। आपको खुश होना है, आनंदित होना है।
आपको किसी और को कैसा लगेगा, कोई क्या कहेगा इसकी फिक्र नहीं करनी है। मैं उस ड्रेस में कैसा लगूंगा, लोगों को कैसा लगेगा, यह सोचना बेमानी है। आप गाइए, नाचिए, ठहाके लगाइए। चुटकुले सुनिए-सुनाइए। जो आता है, जो भाता है करिए। औरों को अच्छा लगे वैसा हम करें इसका टेंडर हमारे नाम नहीं निकला है। बस मस्त रहें, मस्ती में रहें। किसी से कोई उम्मीद न रखें। जो अपने होंगे वे आपको किसी से उम्मीद करने की नौबत तक जाने ही नहीं देंगे।
इसलिए कहता हूं कि —
कौन है दुनिया में जिसे नही कोई भी ग़म,
जीता वहीं है जो हर गम को कर दे बेदम।