दार्जिलिंग। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर बंगाल में एक बार फिर अलग राज्य की मांग उठने लगी है। उत्तर बंगाल के कई गोरखा, कामतापुरी और आदिवासी संगठन अलग राज्य की मांग के लिए एकजुट होने लगे हैं। कामतापुर प्रोग्रेसिव पार्टी (केपीपी) के केंद्रीय प्रचार सचिव संतोष कुमार बर्मन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कामतापुर प्रोग्रेसिव पार्टी (केपीपी), जय बिरसा मुंडा उलगुलान और गोरखा जनमुक्ति मार्चा के शीर्ष नेताओं के बीच हालही में गोरखा जनमुक्ति मार्चा के केंद्रीय कार्यालय में बंद कमरे में एक बारे में अहम बैठक हुई।
चार-पांच घंटे तक चली इस बैठक के अंत में उत्तर बंगाल के कामतापुरी, गोरखा और आदिवासी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व ने अलग राज्य की मांग को लेकर एकजुट होकर आंदोलन करने पर सहमति जताई. इस बैठक में केपीपी की ओर से अध्यक्ष अधीर चंद्र रॉय, उपाध्यक्ष बुधारू रॉय, प्रचार संपादक संतोष कुमार बर्मन, सह-संपादक मनोवेंद्र रॉय, केंद्रीय समिति के सदस्य पुलिन रॉय, राजोन रॉय, पुष्पजीत रॉय और अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
दूसरी ओर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की ओर से अध्यक्ष बिमल गुरुंग, महासचिव रोशन गिरि, केंद्रीय समिति के संयोजक द्विपेंद्र निराला, गोरखा युवा समिति के अध्यक्ष रमन राय और जॉय बिरसा मुंडा जैसे शीर्ष नेता उपस्थित थे। बैठक में गोरखा, आदिवासी, कामतापुरी संगठनों के सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से इस बात पर सहमति जताई कि अगर उत्तर बंगाल में अलग राज्य बनाना है तो उसे विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।
इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार की लंबे समय से किये जा रहे शोषण के खिलाफ एकजुट होने और विरोध करने का अंतिम निर्णय लिया है। राज्य के नामकरण को लेकर गोरखा, कामतापुरी और आदिवासी संगठनों के बीच कोई विवाद नहीं है। उनका एकमात्र लक्ष्य अलग राज्य बनाना है। इन नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर बंगाल में एक अलग राज्य के लिए जोरदार आंदोलन करने की भी चेतावनी दी।