कुछ भी करने से पहले जरूर जांचे काल से संबंधित जानकारी!

वाराणसी । आपने ध्यान दिया होगा कि जब हम कोई कार्य करते हैं तो अक्सर हमे ज्योतिष विशेषज्ञ उस कार्य को करने के लिए उचित दिन बताते हैं और फिर पंचांग देखकर काल की गणना कर वे हमें उस विशेष दिन में वो कार्य किस समय करना अनुकूल रहेगा, ये जानकारी भी देते हैं। क्योंकि ज्योतिष विज्ञान में जिस प्रकार एक माह 30 दिनों का बताया गया है, उसी प्रकार हर एक दिन को अनेक शुभ-अशुभ विभागों में विभाजित किया गया है।

भारतीय वैदिक ज्योतिष में एक दिन में अलग-अलग अवधि होती है और उन सभी अवधि में अलग-अलग काल का उल्लेख किया गया है। जिसमें से जहां कुछ काल को शुभ तो कुछ काल को अशुभ की श्रेणी में रखा गया है। इसी के अनुसार जहाँ शुभ काल के दौरान किया गया कार्य फलित होता है, वहीं अशुभ काल के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। पंचांग अनुसार शुभ काल व अशुभ काल :-

प्रात:काल : सबसे प्रथम काल की अवधि प्रात:काल कहलाती है। ये अवधि सूर्योदय होने से ठीक 48 मिनट पूर्व का समय होता है।

अरुणोदय काल : ये अवधि सूर्योदय होने से ठीक 1 घंटे और 12 मिनट पूर्व की होती है, जिसे हम पंचांग अनुसार अरुणोदय काल कहते हैं।

उषा काल : ये अवधि सूर्योदय होने से ठीक 2 घंटे पूर्व का समय होता है, इसे हम सरल भाषा में उषाकाल कहते हैं।

अभिजित काल : भारतीय समय के अनुसार ये अवधि दोपहर में लगभग 11 बजकर 36 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक रहती है। जो लगभग एक घंटे की होती है। ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार अभिजीत काल बुधवार को वर्जित होता है।

प्रदोष काल : ये अवधि सूर्यास्त होने से लेकर 48 मिनट बाद तक का समय होता है, जिसे हम प्रदोष काल कहते हैं।

गोधूलि काल : ये अवधि सूर्यास्त होने से 24 मिनट पूर्व से शुरू होती है और सूर्यास्त के 24 मिनट बाद तक माननीय होती है।

राहुकाल : राहुकाल रोजाना डेढ़ यानी 1 घंटे 30 मिनट का होता है। नियम अनुसार राहुकाल के दौरान कोई भी शुभ व नया कार्य करने से बचना चाहिए।

राहुकाल सातों दिन के अनुसार कुछ इस प्रकार है :
* रविवार को राहुकाल सायं 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक होता है।
* सोमवार को राहुकाल प्रातः 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक होता है।
* मंगलवार को राहु काल दोपहर 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* बुधवार को राहु काल दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* गुरुवार को राहु काल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक होता है।
* शुक्रवार को राहुकाल प्रातः 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक होता है।
* शनिवार को राहुकाल प्रातः 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक होता है।

गुलिक काल : इस काल की अवधि भी डेढ़ यानी 1 घंटे 30 मिनट की होती है। माना जाता है कि कुछ विशेष कार्य को इस समय काल के दौरान करने से बचना चाहिए। गुलिक काल सातों दिन के अनुसार कुछ इस प्रकार है :
* रविवार को गुलिक काल का समय दोपहर 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* सोमवार का गुलिक काल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक होता है।
* मंगलवार को गुलिक काल दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* बुधवार को गुलिक काल प्रात: 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक होता है।
* गुरुवार को गुलिक काल प्रातः 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* शुक्रवार का गुलिक काल प्रातः 07 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक होता है।
* शनिवार को गुलिक काल प्रातः 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक होता है।

यमगंड काल : इस काल की अवधि भी प्रतिदिन डेढ़-डेढ़ घंटे की होती है। साथ ही यमगंड काल में भी शुभ कार्यों को करने से परहेज करना चाहिए।
इसके काल की अवधि सातों दिन के अनुसार कुछ इस प्रकार है :
* रविवार को यमगंड काल का समय दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* सोमवार को यमगंड काल प्रात: 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक होता है।
* मंगलवार को यमगंड काल प्रातः 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* बुधवार को यमगंड काल प्रातः 07 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक होता है।
* गुरुवार को यमगंड काल प्रातः 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* शुक्रवार को यमगंड काल दोपहर 3 बजे से 04 बजकर 30 मिनट तक होता है।
* शनिवार को यमगंड काल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक होता है।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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