चौंक जायेगें! पैदा होने से पहले ही स्पर्मों में होती है अनोखी प्रतियोगिता

किसी भी जीव के पैदा होने से पहले ही प्रतियोगिता शुरू हो जाती है। वो एक स्पर्म यानी शुक्राणु जिसकी बदौलत आपका शरीर बना है, हो सकता है उसने एग सेल यानी अंडा कोशिका से मिलने के लिए कई प्रतियोगियों को जहर देकर खत्म कर दिया हो। चौंक गए न! यानी आज जन्म की शुरूआत ही एक भयानक प्रतियोगिता से हो रही है। आइए जानते हैं इन शुक्राणुओं के बारे में जो अपने प्रतियोगियों को जहर देकर खत्म कर देते हैं।

बर्लिन के शोधकर्ताओं ने बताया है कि जब प्रजनन प्रक्रिया के समय किसी नर से वीर्य (Semen) छूटते हैं, तब लाखों की संख्या में शुक्राणु (Sperm) अंडा कोशिका (Egg Cell) की ओर बढ़ते हैं। सब बेहद तेजी में, सब चाहते हैं कि वो अंडा कोशिका से मिलकर एक नए जीव की उत्पत्ति करें, लेकिन सफलता किसी एक को ही मिलती है। शुक्राणुओं के अंडा कोशिका तक पहुंचने की काबिलियत उनके पास मौजूद प्रोटीन RAC1 की मात्रा पर निर्भर करती है।
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स के निदेशक बर्नहार्ड हर्मेन बताते हैं कि ‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) जेनेटिक फैक्टर वाले शुक्राणु उन प्रतियोगियों को निष्क्रिय कर देते हैं जिनके पास ये जेनेटिक फैक्टर नहीं होता, यानी उन्हें जहर देकर मार देते हैं।

बर्नहार्ड ने बताया कि ‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) स्पर्म अन्य शुक्राणुओं को जहर देकर मार देते हैं। साथ ही उसी समय एक ऐसा एंटीडो़ट निकालते हैं जिससे वह खुद सुरक्षित रह सकें। यानी कोई शुक्राणु उनको रास्ते ने भटका न सके और उन्हें खत्म करने की कोशिश न कर सके।
इसे ऐसे समझ लीजिए जैसे मैराथन रेस में दौड़ने वालों को जहर मिला पानी पीने के लिए दे दिया जाए, लेकिन कुछ एथलीट के पास इसका एंटीडोट हो।
‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) स्पर्म ऐसे जीन वैरिएंट रखते हैं जो रेगुलेटरी सिग्नल्स को बाधित करते हैं। इसी बाधा की वजह से अन्य शुक्राणु अपना रास्ता भटकते हैं और मारे जाते हैं।

‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) जेनेटिक फैक्टर वाले कुछ स्पर्म में क्रोमोसोम्स की संख्या आधी होती है। लेकिन उनके अंदर नाकारात्मक प्रक्रिया को पलटने की ताकत होती है। इस वजह से वह प्रतियोगिता में अंत तक जीवित रहते हैं। RAC1 से समृद्ध स्पर्म ही तेजी से अंडा कोशिका की ओर भागता है। ‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) जेनेटिक फैक्टर है तो वह ज्यादा भयानक और आक्रामक प्रतियोगी बनता है। अगर ये फैक्टर नहीं है तो वह सामान्य तरीके से प्रतियोगिता में रेस लगाता है। स्टडी का नतीजा यह निकला कि जिस स्पर्म के पास ‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) फैक्टर और मजबूत RAC1 होता है वह ज्यादा तेजी से प्रतियोगिता जीतते हैं। जबकि, सामान्य शुक्राणु ऐसा नहीं कर पाते। ये तेजी से जा रहे स्पर्म की ओर से छोड़े गए जहर की वजह से रास्ते में ही मारे जाते हैं। बर्नहार्ड ने कहा कि हमारी स्टडी बताती है कि जब गर्भाधान का समय आता है तो ये शुक्राणु बेहद क्रूर हो जाते हैं। ‘टी-हैप्लोटाइप’ (t-haplotype) जेनेटिक फैक्टर वाले शुक्राणु तो विजेता बनने के लिए मारकाट मचा देते हैं। ये स्पर्म प्रतियोगियों को जहर देकर मारते चले जाते हैं। ये नए जन्म की शुरूआत ही गंदे तरीके से करते हैं।

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