पारो शैवलिनी, जमालपुर । “हुई शाम उनका ख्याल आ गया” की तर्ज पर बीती रात जानिसा आर्ट एंड फिल्म स्टूडियो, जमालपुर में हिंदी साहित्य जगत के सुविख्यात कलमकार मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती और मखमली और दिलकश आवाज़ के मालिक मरहूम मोहम्मद रफी साहब की 42वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर जानिसा म्यूज़िकल ग्रुप के कलाकारों ने रफ़ी साहब के गाए कई यादगार गीतों की प्रस्तुति दी तो हिंदी साहित्य जगत के नामचीन कथाकार उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की कृतियों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि भागलपुर से आए एसएचओ कृपा सागर, लायंस क्लब जमालपुर लौह नगरी सह जानिशा म्यूज़िकल ग्रुप के अध्यक्ष रंजीत प्रसाद, जानिशा आर्ट एंड फिल्म स्टूडियो के निदेशक मो. ईसा “चंचल”, जानिशा आर्ट एण्ड फिल्म स्टुडियो की प्राचार्या मंजू यदुवंशी, जाने माने फिल्म अभिनेता तथा समाजसेवी प्रकाश सिंह बादल, नगर कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष सह भूतपूर्व सीआईटी राजकुमार मंडल द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर साहित्यकार, नाटककार ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि 31जुलाई दो शख्शियत की तारीख बनकर रह गई है। इसी तारीख को मुंशी प्रेमचंद जी जैसा कथाकार इस धरती पर आए और इसी तारीख मो. रफ़ी साहब जैसा कोहिनूर जमींदोज़ हुए। हमें हर साल इन दो सितारों की याद आती है। जो तासीर इन दोनों में रही है ऐसा फिर कोई नहीं आने वाला। एक ओर मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने आस-पास की ग़रीबी, सामंतवादी व्यवस्था से प्रताड़ित लोगों के दर्द को कलमबद्ध कर समाज को आईना दिखाते रहे तो दूसरी ओर जनाब रफ़ी साहब ने फिल्मी पर्दे पर समाज के साधारण चरित्र से लेकर नायकों को आवाजें दी।
रंजीत प्रसाद ने रफ़ी साहब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हिंदुस्तान ही नहीं पूरी दुनियां इन दो काबिलियत से सराबोर शख्स को हमेशा याद करेगी। इन दोनों ने हम लोगों को बहुत कुछ दिया है जो हमारी विरासत के लिए अनमोल धरोहर है।
इस अवसर पर जानिशा म्यूज़िकल ग्रुप जमालपुर के कलाकारों ने रफ़ी साहब के गाए गीतों की प्रस्तुति देकर श्रद्धांजलि दी। तारकनाथ बोस ने रफ़ी साहब को श्रद्धांजलि देते हुए ‘हुई शाम उनका ख्याल आ गया’, ‘दिन ढल जाए तेरी याद…’ गाया। पूजा राज ने रफ़ी साहब के साथ हाल ही में मृत्यु को प्राप्त करने वाली लता मंगेशकर को भी ‘तुम मुझे यूं भुला न पाओगे’, ‘आपकी नजरों ने समझा…”, ‘नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा…’रहे न रहे हम, महका करेंगे…’ जैसे गीतों को पेश कर श्रद्धांजलि दी।
मो. कैश ने “दिल का सूना साथ…’ ‘जट अमला पगला दीवाना…’ जैसे मधुर गाने प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मो. इम्तेयाज ने रफ़ी के मशहूर और बेहतर गाने ‘मेरी दुश्मन है ये…’, ‘कैसे जीत लेते हैं…’जब जब बहार आई…’ गाए तो महफ़िल में जैसे बहार आ गई। लोगों ने तारीफ़ करते हुए तालियां बजाकर बधाई दी। समाजसेवी और गरीब पीड़ित के लिए संघर्षरत सह पुराने कलाकार प्रमोद पासवान ने “तेरे नाम का दीवाना….’ और ‘तू इस तरह से…’ गीत पेश कर रफ़ी साहब को याद किया।
कलाकारों की भीड़ ने कार्यक्रम को वृहत बना डाला। देर रात तक गीत संगीत का दौर चलता रहा। कुछ नये कलाकारों में अमित ने ‘पुकारता चला हूं मैं…’ युवा कलाकार यश ने “पत्थर के सनम…’ सीनियर मोस्ट कलाकार बर्मन दा ने “सुहानी रात ढल चुकी…’ “वो तेरे प्यार का ग़म…’, अभिषेक ने “दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर…” डॉ. सुमन रज़ा ने “छलकाए जाम आईए आपके नाम…”, “चुरा लिया है तुमने जो…”, “ये दिल तुम बिन कहीं…” तू इस तरह से मेरी…” , राजकुमार मंडल ने “जाने चले जाते हैं कहां…”, गायक हिमांशु ने “धीरे चल जरा…” एन.के. मुन्ना ने “परदा है परदा…”, लखीसराय से आए उद्घोषक मनोज मेहता ने “एक दिन तू मेरी रानी बनेगी…”
कृपा सागर ने “वो जब याद आए बहुत याद…”, ” खुदा भी आसमां से…” पूजा राज के साथ “छुप गए सारे नजारे…”, “कोयल बोली दुनियां डोली…” नोबुल दा ने “जिंदगी कैसी है पहेली हाय…” की प्रस्तुति दी उपस्थित श्रोताओं ने भी तालियां बजा बजाकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ उद्घोषक महेश ‘अनजाना’ और युवा उद्घोषक मनोज मेहता ने संयुक्त रूप से किया। इस कार्यक्रम का फेसबुक पर सीधा प्रसारण होने से शहर से बाहर रहने वाले संगीत प्रेमी ने भी गीत संगीत सुनकर झुमते रहे।